दिल्ली डेस्क
प्रखर प्रहरी
दिल्लीः भारत में कोरोना वायरस का प्रकोप दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। हालांकि सरकारी आंकड़ों में 80 प्रतिशत से ज्यादा मरीजों के ठीक होने का दावा किया जा रहा है, लेकिन इस महामारी से निजात पाये लोगों के दोबारा इसकी चपेट में आने की रिपोर्टें भी सामने आई हैं। ऐसे में स्पष्ट है कि भारत हर्ड इम्युनिटी अभी विकसित नहीं हुई है। केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने भी इसकी पुष्टि कर दी है। हर्ड इम्युनिटी को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने आज कहा कि देश में कोरोना संक्रमण को लेकर लोगों में “हर्ड इम्युनिटी” विकसित नहीं हुई है। इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि हम सब कोविड के नियमों का गंभीरता से बालन करें।
डॉ. हर्षवर्धन ने 27 सितंबर को संडे संवाद के तीसरे एपिसोड में सोशल मीडिया के जरिए विचार-विमर्श किया। उन्होंने कहा कि आईसीएमआर यानी भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की सीरो सर्वे की रिपोर्ट से लोगों में आत्म संतुष्टि की भावना नहीं आनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत की जनसंख्या अभी हर्ड इम्यूनिटी से बहुत दूर है। हमें कोरोना-19 को लेकर सुस्त नहीं होना चाहिए बल्कि गंभीरता से नियमों का पालन करना चाहिए। उन्होंने इस जानलेवा विषाणु से निजात पाये लोगों के दोबारा संक्रमित होने के बारे में कहा कि आईसीएमआर कोविड-19 से दोबारा इफेक्टेड होने के मामलों की जांच कर रहा है। यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि आखिर लोग दोबारा से क्यों इससे इंफेक्टेड हो रहे हैं। हालांकि अभी ऐसे मामले कम सामने आए हैं।
डॉ. ने बताया कि रेमेडिसविर और प्लाज्मा थेरेपी को प्रोत्साहित नहीं किया जाना है। सरकार ने उनके उपयोग के संबंध में एडवाइजरी जारी की है। इसके अलावा प्राइवेट अस्पतालों को भी इन जांच उपचारों के नियमित उपयोग के खिलाफ सलाह दी गई है। उन्होंने कहा कि मई माह में कराए गए पहले सीरो सर्वे में पता चला था कि देश भर में नोवेल कोरोना वायरस का संक्रमण 0.73 प्रतिशत था। दूसरे सीरो सर्वे की रिपोर्ट जारी होने वाली है, इसमें संकेत है कि हम किसी प्रकार की हर्ड इम्युनिटी से अभी काफी दूर हैं।
हर्ड इम्युनिटी क्या है?
हर्ड इम्युनिटी एक प्रक्रिया है। इसमें लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है। वह चाहे वायरस के संपर्क में आने से हो या फिर वैक्सीन से। यदि कुल जनसंख्या के 75 प्रतिशत लोगों में यह प्रतिरक्षक क्षमता विकसित हो जाती है तो हर्ड इम्युनिटी माना जाता है। फिर चार में से तीन लोग संक्रमित शख्स से मिलेंगे तो उन्हें न ये बीमारी लगेगी और न वे इसे फैलाएंगे। एक्सपर्ट मानते हैं कोविड-19 के केस में हर्ड इम्युनिटी विकसित होने के लिए 60 प्रतिशत में रोग प्रतिरोधक क्षमता होनी चाहिए।
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— Dr Harsh Vardhan (@drharshvardhan) September 27, 2020