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राष्ट्रीय

हम मजबूत थे, तो किसी को सताया नहीं, जब मजबूर थे तो किसी पर बोझ नहीं बनेः मोदी

विदेश डेस्क

प्रखर प्रहरी

जेनेवाः हम मजबूत थे, तो किसी को सताया नहीं, जब मजबूर थे तो किसी पर बोझ नहीं बने। यह बातें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज यूएनजीए यानी संयुक्त राष्ट्र महासभा की 75वीं बैठक को संबोधित करते हुए कही। मोदी ने वैश्विक शांति, संस्कृति और अर्थव्यवस्था में भारत के योगदान का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, एक ऐसा देश जहां विश्व  की 18 प्रतिशत से ज्यादा जनसंख्या रहती है। एक ऐसा देश जहां सैकड़ों  भाषाएं हैं, सैकड़ों बोलियां हैं, अनेकों पंथ हैं, अनेकों विचारधाराएं हैं।  भारत ने वर्षों वैश्विक अर्थव्यवस्था का नेतृत्व किया है।  भारत जब मजबूत था तो किसी को सताया नहीं, जब मजबूर था कि किसी पर बोझ नहीं बना। हम पूरे विश्व को एक परिवार मानते हैं। यह हमारी संस्कृति, संस्कार और सोच  का हिस्सा है।

पीएम मोदी ने अपने 22 मिनट के संबोधन में संयुक्त राष्ट्र के स्वरूप में बदलाव को समय की जरूरत बताते हुए  सवाल किया कि वैश्विक संस्थान की निर्णय प्रक्रिया से भारत को कब तक अलग रखा जायेगा?

मोदी के संबोधन की महत्वपूर्ण बातें-

  • प्रधानमंत्री ने कहा कि 1945 की दुनिया आज से एकदम अलग थी। साधन, संसाधन सब अलग थे। ऐसे में विश्व कल्याण की भावना के साथ जिस संस्था का गठन हुआ, वह भी उस समय के हिसाब से ही थी। 21वीं सदी में हमारे वर्तमान की, भविष्य की आवश्यकताएं और चुनौतियां अलग हैं। आज पूरे विश्व समुदाय के सामने एक बहुत बड़ा सवाल है कि जिस संस्था का गठन तबकी परिस्थतियों में हुआ था, वह आज भी प्रासंगिक है। सब बदल जाए और हम ना बदलें तो बदलाव लाने की ताकत भी कमजोर हो जाती है।
  • उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की प्रासंगिता पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि 75 साल में संयुक्त राष्ट्र की उपलब्धियों को मूल्यांकन करें, तो तमाम उपलब्धियां हैं, लेकिन, कई ऐसे भी उदाहरण हैं, जो इसको लेकर गंभीर आत्ममंथन की आ‌वश्यकता बतात हैं।
  • मोदी ने कहा कि कहने को तो तृतीय विश्वयुद्ध नहीं हुआ। लेकिन अनेकों युद्ध हुए, गृह युद्ध हुए, आतंकी हमलों ने दुनिया को थर्रा कर रख दिया, खून की नदियां बहती रहीं। इन हमलों में जो मारे गए, वो हमारे आपकी तरह इंसान ही थे। वो लाखों मासूम बच्चे, जिन्हें दुनिया पर छा जाना था, वो दुनिया छोड़कर चले गए। कितने ही लोगों को अपने जीवन भर की पूंजी गंवानी पड़ी, घर छोड़ना पड़ा। आज ऐसे में संयुक्त राष्ट्र के प्रयास क्या पर्याप्त थे। कोरोना से दुनिया आठ से नौ महीने से संघर्ष कर रही है। इस महामारी से निबटने के लिए संयुक्त राष्ट्र का प्रभावशाली नेतृत्व कहां था।
  • उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुधार की प्रक्रिया तथा उसमें भारत की भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र की व्यवस्था, प्रक्रिया में बदलाव आज समय की मांग है। भारत के लोग संयुक्त राष्ट्र के रिफॉर्म को लेकर चल रही प्रक्रिया पूरा होने का लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं। आखिर कब तक भारत को संयुक्त राष्ट्र के डिसीजन मेकिंग स्ट्रक्चर से अलग रखा जाएगा।
  • मोदी ने कहा कि जिन आदर्शों के साथ संयुक्त राष्ट्र का गठन हुआ, उससे भारत की दार्शनिक सोच बहुत मिलती है। इसी हॉल में ये शब्द अनेकों बार गूंजा है कि वसुधैव कुटुंबकम। हम पूरे विश्व को परिवार मानते हैं। ये हमारी संस्कृति, संस्कार और सोच का हिस्सा है। भारत ने हमेशा विश्वकल्याण को ही प्राथमिकता दी है। हमने शांति की स्थापना के लिए 50 पीस कीपिंग मिशन में अपने जांबाज भेजे। हमने शांति की स्थापना में अपने सबसे ज्यादा वीर सैनिकों को खोया है। आज हर भारतवासी संयुक्त राष्ट्र में अपने योगदान, भूमिका को देख रहा है।
  • उन्होंने कहा कि भारत ने हमेशा पूरी मानव जाति के हित के बारे में सोचा है। भारत की नीतियां हमेशा इसी दर्शन से प्रेरित रही हैं। नेबरहुड फर्स्ट से लेकर एक्ट ईस्ट पॉलिसी तक, इंडो-पैसेफिक के प्रति हमारे विचार में इस दर्शन की झलक दिखाई देती है। भारत जब किसी के ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाता है तो वह किसी तीसरे के खिलाफ नहीं होती। भारत जब विकास की साझेदारी मजबूत करता है तो उसके पीछे किसी साथी देश को मजबूर करने की सोच नहीं होती है। हम अपनी विकास यात्रा से मिले अनुभव साझा करने में कभी पीछे नहीं रहते हैं।
  • भारत की फार्मा इंडस्ट्री ने ने महामारी के मुश्किल समय में 150 देशों को दवाइयां भेजी हैं। आज मैं आज वैश्विक समुदाय को एक और आश्वासन देना चाहता हूं कि भारत की वैक्सीन प्रोडक्शन और डिलिवरी की क्षमता पूरी मानवता को इस संकट से बाहर निकालने के काम आएगी। हम भारत में और अपने पड़ोस में फेज थ्री क्लीनिकल ट्रायल पर बढ़ रहे हैं। वैक्सीन की डिलिवरी के लिए कोल्ड चेन और स्टोरेज की क्षमता बढ़ाने में भारत सभी की मदद करेगा।
  • भारत सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य के तौर पर भी अगले साल जनवरी से अपनी जिम्मेदारी निभाएगा। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र होने की प्रतिष्ठा और इसके अनुभव को हम विश्व हित के लिए इस्तेमाल करेंगे। हमारा मार्ग जनकल्याण से जगकल्याण का है। भारत की आवाज हमेशा शांति सुरक्षा और समृद्धि के लिए उठेगी। भारत की आवाज मानवता, मानवजाति और आतंकवाद, अवैध हथियारों की तस्करी के खिलाफ रही है।
  • पीएम मोदी ने कहा कि रिफॉर्म, परफॉर्म, ट्रांसफॉर्म के मंत्र के साथ भारत ने करोड़ों भारतीयों के जीवन में बड़े बदलाव लाने का काम किया है। ये अनुभव विश्व के बड़े देशों के लिए भी उपयोगी हैं। चार से पांच साल में 400 मिलियन से ज्यादा लोगों को बैंकिंग सिस्टम से जोड़ना, सिर्फ चार से पांच साल में 600 मिलियन लोगों को खुले में शौच से मुक्त करना, दो से तीन साल में 500 मिलियन से ज्यादा लोगों को मुफ्त इलाज से जोड़ना आसान नहीं था, पर हमने कर के दिखाया।
Shobha Ojha

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