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महज दस दिन में ही खत्म हुआ संसद का मानसून सत्र, दोनों सदनों की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित, विपक्ष ने राष्ट्रपति से की कृषि संबंधी विधेयक पर मंजूरी नहीं देने की अपील

दिल्ली डेस्क

प्रखर प्रहरी

दिल्लीः वैश्विक महामारी कोरोना वायरस की चुनौतियों के बीच आयोजित संसद का मानसून सत्र 10 दिन में ही खत्म हो गया। राज्यसभा में सभापति एम. वेंकैया नायडू ने सदन के 252वें सत्र और फिल लोकसभा में अध्यक्ष ओम बिरला ने आज 17वीं लोकसभा के चौथे सत्र को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने की घोषणा की। संसद का मानसून सत्र 14 सितंबर से शुरू हुआ था और एक अक्टूबर तक चलने वाला था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मौके पर दोनों सदनों में मौजूद रहे।

मानसून सत्र के दौरान दोनों सदनों की 10-10 बैठकें हुईं। इस दौरान कृषि से संबंधित तीन महत्वपूर्ण विधेयक पारित किए गए, जिस पर राज्यसभा में विपक्ष ने जमकर हंगामा भी किया और बाद में लगभग सभी प्रमुख विपक्षी दलों ने दोनों सदनों का बहिर्गमन किया, जिसके संसद की कार्यवाही विपक्षी सदस्यों की अनुपस्थिति में ही चली। इसके अलाव श्रम कानूनों से संबंधित तीन संहिताओं और वित्त वर्ष 2020-21 की अनुपूरक अनुदान मांगों और उनसे संबंधित विनियोग विधेयक को भी संसद की मंजूरी मिली। पीएम केयर्स फंड को मान्यता देने और कोविड-19 के मद्देनजर कराधान अनुपालना में छूट संबंधी ‘कराधान एवं अन्य विधि (कतिपय उपबंधों का स्थिलिकरण और संशोधन) विधेयक पर भी संसद की मुहर लगी।

राज्यसभा की कार्यवाही निर्धारित समय से आठ दिन पहले बुधवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। राज्यसभा के सभापति वेकैंया नाएडू ने बताया कि सदन के लिए 18 बैठकों होनी थी, लेकिन 10 ही हो सकीं। इस दौरान कुल 25 विधेयक पारित किए गए और छह विधेयक पेश हुए। इस सत्र के दौरान सदन की प्रोडक्टिविटी 100.47% रही है।

इससे पहले विपक्षी दलों के सांसदों ने बुधवार को कृषि बिलों के विरोध में संसद परिसर में प्रदर्शन किया और मार्च निकाला।  उधर, कृषि से संबंधित विधेयक को लेकर राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने बुधवार शाम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की। इस दौरान विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति से आग्रह किया है कि वे विवादास्पद कृषि संबंधित विधेयकों को अपनी सहमति न दें। राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद आजाद ने कहा कि हमने राष्ट्रपति को बताया है कि विधेयक को राज्यसभा में सही तरीके से पास नहीं कराया गया है। यह असंवैधानिक है। उन्होंने कहा, “सरकार को विधेयक लाने से पहले सभी पार्टियों, किसान नेताओं से सलाह लेनी चाहिए थी। सरकार ने संविधान को कमजोर करने का काम किया है। हमने राष्ट्रपति को एक प्रजेंटेशन दिया है कि कृषि से संबंधित को असंवैधानिक रूप से पारित किया गया। उन्हें इन बिलों को वापस भेज देना चाहिए।

कोरोना प्रोटोकॉल के कारण विपक्ष के सिर्फ पांच नेताओं को राष्ट्रपति से मिलने की अनुमति दी गई थी। विपक्ष दलों ने सोमवार को चिट्ठी लिखकर राष्ट्रपति से समय मांगा था। इससे पहले सांसदों ने मार्च भी निकाला। इस दौरान विपक्षी नेताओं ने किसान बचाओ, मजदूर बचाओ और लोकतंत्र बचाओ के नारे लगाए। सभी अपने हाथों में पोस्टर लिए हुए थे। विपक्ष ने लगातार तीसरे दिन राज्यसभा की कार्यवाही का बहिष्कार किया।

 

General Desk

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