एस. सिंहदेव
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अपनी साजिशों से भारत को मात देने के चक्कर में पाकिस्तान अक्सर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी बेइज्जती करवाता रहता है, लेकिन इससे वह कुछ सीखता नहीं है। दरअसल, पाकिस्तान की नींव में ही नफरत, हिंसा व अलगाववाद का जहर घुला हुआ है। इसके कारण वह अपने दामन में आतंकवाद व हिंसा को तो पनाह दे देता है, लेकिन मुहब्बत और नेकी को देख-समझ भी नहीं पाता। हालिया मामला संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UN HumanRight Commission) का है, जहां पाकिस्तान ने अपने कुछ उचक्के दोस्तों के साथ भारत के अंदरूनी मामलों को उछालने की कोशिश की। भारत के स्थायी मिशन के प्रतिनिधि ने जवाब में जो कहा उससे किसी भी गैरतमंद देश को शर्म आ जाए, लेकिन पाकिस्तान तो बेशर्मों का सरदार ठहरा। भारतीय प्रतिनिध ने साफ कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद का गढ़ है और उसके प्रधानमंत्री इमरान खान खुलेआम आतंकियों के संरक्षण की बात स्वीकार करते हैं।

आतंकवाद के संरक्षण के चक्कर में दुनिया से अलग-थलग पड़ा पाकिस्तानः

चालबाज व मतलबी चीन को छोड़ दें तो पाकिस्तान आज पूरी दुनिया से अलग थलग पड़ गया है। इसकी एकमात्र वजह आतंकवाद है। संयुक्त राष्ट्र में कई बार आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान की किरकिरी हुई है। आतंकियों को पनाह देने के कारण ही फाइनेंशियल एक्‍शन टास्‍क फोर्स (Financial Action Task Force/FATF) ने उसे ग्रे लिस्ट में रखा हुआ है और यही स्थिति रही तो जल्द ही पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में डाल देगा। इसके बाद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान कटोरा लेकर दुनियाभर में घूमते रह जाएंगे, लेकिन फूटी कौड़ी भी हासिल नहीं हो पाएगी। चीन अगर मदद देगा भी तो पाकिस्तान को पूरी तरह अपना गुलाम बना लेगा। पाकिस्तान अपने संसाधनों के चीन का ब्याज तक नहीं चुका पाएगा। 

मानवाधिकार का मुद्दा उठाने से पहले अपनी गिरेबां में झांको इमरान खानः

जन्नत की हूरों के नाम पर अपनी युवा पीढ़ी को कलम की जगह बंदूक थमाने वाला पाकिस्तान जब भी मानवाधिकार की बात करता है तो ऐसा लगता है मानो लतीफों का दौर चल रहा हो। जो देश आतंकवाद की फैक्ट्री बन चुका हो, जहां हिंदू, सिख व ईसाई जैसे धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ बर्बरता बरती जाती हो, जहां मुसलमानों के ही एक वर्ग शिया को दहशत में रहना पड़ता हो, जहां गिलगित बाल्टिस्तान व खैबरपख्तूनख्वाह के आंदोलनकारियों को गोलियों से उड़ा दिया जाता हो, जहां मीडिया पर पाबंदी हो वह भला किस आधार पर मानवाधिकार की बात करता है। खासकर तब जबकि पाकिस्तान मानवाधिकार ने साल 2019 की अपनी रिपोर्ट में पाकिस्तान में मानवाधिकार को बहुत ही दयनीय अवस्था में करार दिया हो। 

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