दिल्ली डेस्क
प्रखर प्रहरी
दिल्लीः संसद के मानसून सत्र में पश्न काल नहीं होगा तथा कोई निजी विधेयक भी पेश नहीं किया जाएगा। इस संबंध में राज्य सभा सरकारी प्रस्ताव आज ध्वनिमत से पारित हो गया। संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने सदन में इस आशय का प्रस्ताव रखा। इस दौरान उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के मद्देनजर संसद के मानसून सत्र में सरकार प्रश्न काल नहीं होने और गैर सरकारी सदस्यों के निजी विधेयक पेश नहीं करने का प्रस्ताव रखती है।
सरकार के इस प्रस्ताव का तृणमूल कांग्रेस ने विरोध किया और पार्टी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने संशोधन पेश किया जिसे सदन ने ध्वनिमत से खारिज कर दिया। इससे पहले उन्होंने कहा कि प्रश्न काल लोगों की समस्याओं का समाधान होता है और सरकार की जवाबदेही तय होती है। इस वजह से इसे होना चाहिए। सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि प्रश्न काल लोकतांत्रिक संसदीय प्रणाली का मूल है। इसके जरिए सरकार की नीतियों को जनता के सामने लाया जाता है। जनप्रतिनिधियों को आम जनता चुनती है और जनता की ओर से प्रतिनिधियों को प्रश्न पूछने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि प्रश्न काल अनिवार्य रुप से होना चाहिए। उधर, सभापति एम.वेंकैया नायडू ने कहा कि प्रश्न काल नहीं होने की व्यवस्था सदन में भीड़ खत्म करने के लिए की गई है। इससे अधिकारियों को सदन में नहीं आना होगा।