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जमीन से जुड़ा और गरीबों को समझने वाला व्यक्ति थे रघुवंश प्रसाद सिंहः मोदी
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जमीन से जुड़ा और गरीबों को समझने वाला व्यक्ति थे रघुवंश प्रसाद सिंहः मोदी

संवाददाता

प्रखर प्रहरी

दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13 सितंबर को  दिवंगत पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह को जमीन जुड़ा और गरीबों को समझने वााला व्यक्ति बताया और कहा कि बिहार के लिए संघर्ष करते हुए पूरी जीवन बिताने वाले वाले रघुवंश बाबू के जाने से बिहार और देश की राजनीति में शून्य पैदा हो गया। मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बिहार में पेट्रोलियम क्षेत्र की तीन प्रमुख परियोजनाओं का लोकार्पण करने के दौरान  रघुवंश प्रसाद सिंह के निधन  पर गहरा शोक व्यक्ति किया। 

उन्होंने दिल्ली के एम्स यानी अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लिखे रघुवंश प्रसाद सिंह के आखिरी पत्र का उल्लेख करते हुए कहा, “रघुवंश प्रसाद सिंह ने बिहार के मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखकर विकास के कामों की लिस्ट दी थी। बिहार के लोगों और बिहार की चिंता चिट्ठी में थी। मैं नीतीश कुमार से आग्रह करता हूं कि अपनी आखिरी चिट्ठी में श्री प्रसाद ने  जो भावनाएं प्रकट कीं, उसे पूर्ण करने के लिए आप और हम मिलकर पूरा प्रयास करें।” उन्होंने कहा कि बीजेपी में काम करने के दौरान उनसे नजदीक का परिचय रहा। जब वह केंद्र में मंत्री थे, तो मैं गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर संपर्क में था।

आपको बता दें कि रघुवंश प्रसाद सिंह ने पिछले दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर बिहार के विकास को लेकर कई मांगें रखी थीं। उन्होंने कहा था कि 15 अगस्त को मुख्यमंत्री पटना में और राज्यपाल विश्व के प्रथम गणतंत्र वैशाली में राष्ट्रध्वज फहराएं। इसी तरह  26 जनवरी को राज्यपाल पटना में और मुख्यमंत्री वैशाली गढ़ के मैदान में राष्ट्रध्वज फहराएं। उन्होंने मुख्यमंत्री को 26 जनवरी, 2021 को वैशाली में राष्ट्रध्वज फहराने की मांग की थी। उन्होंने अपनी चिट्ठी में नीतीश से मनरेगा कानून में सरकारी और अनुसूचित जाति एवं जनजाति की जमीन में काम का प्रबंध जिस खंड में है, उस खंड में आम किसानों की जमीन को भी जोड़ने की मांग की थी। 

इसके अलावा भगवान बुद्ध के पवित्र भिक्षापात्र को अफगानिस्तान के काबुल से वैशाली लाने की भी मांग की थी। उन्होंने वैशाली के सभी तालाबों को जल-जीवन-हरियाली अभियान से जोड़ने का आग्रह किया था। गांधी सेतु पर गेट बनाने और उसपर ‘विश्व का पहला गणतंत्र वैशाली’ लिखने का भी आग्रह किया था।

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