दिल्ली डेस्क
प्रखर प्रहरी
दिल्लीः नई शिक्षा नीति के लागू होने से भारत दुनिया में ज्ञान की एक महाशक्ति के रूप में उभरेगा और शिक्षा के क्षेत्र में एक वैश्विक ब्रांड बनेगा। यह बातें केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने ने आज नई शिक्षा नीति को लेकर आयोजित राज्यपालों के सम्मेलन के दौरान कहीं। उन्होंने कहा कि देश में पहली शिक्षा नीति 1968 में बनी थी और उसके बाद दूसरी 1986 में। अब 34 साल बाद यह नई शिक्षा नीति आई है, जिससे शिक्षा के क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन होगा। यह शिक्षा नीति भारत को ज्ञान की महाशक्ति बनाएगी तथा पूरी दुनिया में भारत शिक्षा के क्षेत्र में एक ब्रांड के रूप में उभरेगा।

निशंक कहा कि यह शिक्षा नीति वैज्ञानिक सोच पर आधारित होगी, लेकिन उसमें भारतीय जीवन मूल्य भी रहेंगे। यह डिजिटल भी होगी और दूरवर्ती भी। इसके साथ ही यश अनुसंधान और नवाचार को भी बढ़ावा देगी। हम उच्च शिक्षा में दाखिले 50 प्रतिशत दाखिले का लक्ष्य पार करेंगे और 3.50 करोड़ छात्रों को उच्च शिक्षा का अवसर देंगे। उन्होंने कहा कि भारत के चुनिंदा विश्वविद्यालय और शिक्षण संस्थानों के भी विदेशों में कैंपस खुलेंगे तथा दुनिया के 100 चुने हुए शैक्षणिक संस्थानों को भी भारत में प्रवेश दिया जाएगा ।

उन्होंने कहा कि शिक्षा नीति से हम आत्मनिर्भर भारत प्राप्त करेंगे। स्वच्छ भारत श्रेष्ठ भारत मेक इन इंडिया और तथा डिजिटल इंडिया के लक्ष्य को भी हासिल करेंगे। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में नई शिक्षा नीति के विभिन्न पहलुओं पर विचार विमर्श होगा और उसके आधार पर इसे लागू किया जाएगा ।

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