दिल्ली डेस्क
प्रखर प्रहरी
दिल्लीः देश ने एसएसटीडीवी यानी हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमोन्स्ट्रेटर के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। डीआरडीओ यानी अनुसंधान एवं विकास संगठन के वैज्ञानिकों ने देश में ही विकसित प्रौद्योगिकी के माध्यम से आज सुबह 11 बज कर तीन मिनट पर ओडिशा के तट पर व्हीलर द्वीप स्थित डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्रक्षेपण परिसर से इसका परीक्षण किया। इसके साथ ही भारत अमेरिका, रूस और चीन जैसे चुनिंदा देशों की श्रेणी में शामिल हो गया है जिनके पास यह प्रौद्योगिकी मौजूद है।

उधर, रक्षा मंत्री ने ट्वीट कर डीआरडीओ के वैज्ञानिकों को बधाई दी। उन्होंने कहा, “मैं प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के विजन को पूरा करने और यह उपलब्धि हासिल करने के लिए डीआरडीओ की टीम को बधाई देता हूं। मैंने इस प्रोजेक्ट से जुड़े वैज्ञानिकों से बात की है और उन्हें बधाई दी। भारत को उन पर गर्व है।“
डीआरडीओ प्रमुख डॉ. जी सतीश रेड्डी ने भी सभी वैज्ञानिकों और सहयोगी स्टाफ को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है।

आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भारत अब अगले पांच साल में हाइपरसोनिक मिसाइल तैयार कर सकेगा। हाइपसोनिक मिसाइलें एक सेकंड में दो किलोमीटर तक वार कर सकती हैं। इनकी रफ्तार ध्वनि की रफ्तार से छह गुना ज्यादा होती

रक्षा मंत्री कार्यालय/ RMO India
@DefenceMinIndia
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1h
Successful flight test of Hypersonic Technology Demonstration Vehicle (HSTDV) from Dr. APJ Abdul Kalam Launch Complex at Wheeler Island off the cost of Odisha today.

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