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राष्ट्रीय

पंचतत्व में विलीन हुए प्रणव दा, बेटे अभिजीत ने दी मुखाग्नि, राजकीय सम्मान से हुआ अंतिम संस्कार

दिल्ली डेस्क

प्रखर प्रहरी

दिल्लीः पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी आज पंचतत्व में विलीन हो गए। राजकीय सम्मान के साथ एक सितंबर को दिल्ली के लोधी रोड स्थित श्मशान में किया गया। बेटे अभिजीत मुखर्जी ने अंति संस्कार की क्रियाएं पूरी कीं। प्रणव दा का अंतिम संस्कार कोरोना प्रोटोकॉल के साथ किया गया। इस मौके पर उनके परिवार के लोग और रिश्तेदार पीपीई किट पहने हुए थे। पिता को मुखाग्नि देते वक्त बेटे अ अभिजीत दर्ज झलक गया। उन्होंने कहा, “पिता की मौजूदगी ही पूरे परिवार के लिए बड़ा सहारा था। मुझे लगता है कि उनके निधन की मुख्य वजह कोरोना नहीं, बल्कि ब्रेन सर्जरी रही। हम उन्हें पश्चिम बंगाल ले जाना चाहता था, लेकिन कोरोना की वजह से ऐसा नहीं कर सके।”

इससे पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कांग्रेस नेता राहुल गांधी 10 राजाजी मार्ग स्थित प्रणव दा के आवास पर जाकर श्रद्धांजलि अर्पित की। साथ ही पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याम मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी, शशि थरूर, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के  महासचिव डी. राजा, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और कई अन्य नेताओं ने भी दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि दी। इसके अलावा सीडीएस बिपिन रावत और तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने भी प्रणव दा को श्रद्धासुमन अर्पित किए।

आपको बता दें कि 84 वर्षीय प्रणव का 31 अगस्त को सेना के आरआर अस्पताल में निधन हो गया था। तबीयत खराब होने के बाद उन्हें 10 अगस्त को आरआर अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां पर मस्तिष्क में जमा खून का थक्का हटाने के लिए ऑपरेशन किया गया था। वह कोरोना से भी संक्रमित थे।

ब्रिटिश दौर की बंगाल प्रेसिडेंसी (अब पश्चिम बंगाल) के मिराती गांव में 11 दिसंबर 1935 को जन्मे प्रणव दा ने कलकत्ता विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र ओर इतिहास में एमए किया। वह डिप्टी अकाउंट जनरल (पोस्ट एंड टेलीग्राफ) में क्लर्क भी रहे। साथ ही 1963 में वह कोलकाता के विद्यानगर कॉलेज में पॉलिटिकल साइंस के लेक्चरर भी रहे।

प्रणव दा का राजनीनित सफरः-
प्रणव के राजनीति करियर की शुरुआत 1969 में हुई थी। मिदनापुर उपचुनाव में उन्होंने वीके कृष्ण मेनन का कैम्पेन सफलतापूर्वक संभाला था। इस वर्ष तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उनकी प्रतिभा को देखते हुए प्रणव दा को र्टी में शामिल कर लिया और इंदिरा गांधी के कहने पर वह 1969 में ही राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए। इसके बाद प्रणव दा 1975, 1981, 1993 और 1999  में राज्यसभा के लिए चुने गए।

प्रणव  दा ने अपने पांच दशक के संसदीय करियकर के दौरान रक्षा, वित्त, विदेश मंत्रालय, राजस्व, नौवहन, परिवहन, संचार, आर्थिक मामले, वाणिज्य और उद्योग, समेत विभिन्न महत्वपूर्ण मंत्रालयों के मंत्री होने का गौरव भी हासिल हुआ। वह कांग्रेस संसदीय दल और कांग्रेस विधायक दल के नेता रहे। इसके अतिरिक्त वह लोकसभा में सदन के नेता, बंगाल प्रदेश कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष भी रहे।

2012 में तत्कालीन केन्द्रीय वित्त मंत्री प्रणव दा को कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए ने उन्हें राष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार घोषित किया। वह सीधे मुकाबले में उन्होंने अपने प्रतिपक्षी प्रत्याशी पीए संगमा को हराकर 25 जुलाई 2012 को भारत के 13वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। इस पद पर वह 2017 तक रहे। सार्वजनिक जीवन में उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें 26 जनवरी 2019 को भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। इससे पहले 2008 में देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। उन्होंने ‘द कोलिएशन ईयर्स: 1996-2012’ नामक एक किताब भी लिखी है।

Delhi Desk

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