दल्ली डेस्क
प्रखर प्रहरी
दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज आकाशवाणी के माध्यम से देशवासियों से मन की बात की। मोदी का मन की बात का यह 68वीं बार मन की बात कार्यक्रम था। इस दौरान उन्होंने आत्मनिर्भर भारत में टॉय इंडस्ट्रीज का उल्लेख किया और कहा कि टॉय इंडस्ट्रीज को इसमें अहम भूमिका निभानी है। उन्होंने कहा कि असहयोग आंदोलन के समय गांधीजी ने कहा था कि यह भारतीयों में आत्मविश्वास जगाने का आंदोलन है। ऐसा ही आत्मनिर्भर भारत आंदोलन के साथ भी है।
मोदी की अहम बातेंः-
- पीएम ने लोगों की संयम की सराहना करते हुए कहा: लोग कोरोना के दौर में घर में रहते हुए उत्सव मनाए जा रहे हैं। अपना और लोगों का ध्यान रखते हुए लोग अपना काम कर रहे हैं। देश में जिस तरह का संयम देखा जा रहा है, वह अभूतपूर्व है। गणेशोत्सव का त्योहार ऑनलाइन मनाया जा रहा है। इको फ्रेंडली गणेश की प्रतिमा स्थापित हुई हैं।
- उन्होंने पर्वों में पर्यावरण का संदेश छिपा होने की बात कहते हुए कहा: देश में कई पर्व पर्यावरण के लिए मनाए जाते हैं। बिहार के थारू समुदाय ने प्रकृति को जीवन का हिस्सा बना लिया है। वे 60 दिन के त्योहार बरना को मनाते हैं। कोई कहीं भी आता-जाता नहीं है। इस दौरान कृषि से जुड़ा ओणम भी मनाया जा रहा है। ऋग्वेद में कहा गया है- अन्नदाता को नमन है।
- मोदी ने बच्चों की बात करते हुए कहा : कोरोना काल में देश कई मोर्चों पर एकसाथ लड़ रहा है। यह भी ख्याल आता है कि घर में रहने वाले बच्चों का समय कैसे बीतता होगा? मैंने कहीं पढ़ा कि खिलौने के संबंध में रवींद्रनाथ टैगोर ने कहा था कि खिलौना वही अच्छा होता है जो अधूरा हो। बच्चे उसे खेल-खेल में तैयार करें। ग्लोबल टॉय इंडस्ट्री सात लाख करोड़ रुपए की है, लेकिन भारत की इसमें हिस्सेदारी काफी कम है।
- उन्होंने आत्मनिर्भर भारत में टॉय इंडस्ट्री की भमिका का उल्लेख करते हुए कहा: खिलौना वो हो जिसे बचपन खेले भी, खिलखिलाए भी। अब कंप्यूटर गेम्स का दौर है। इनमें ज्यादातर की थीम भारतीय होती है। आत्मनिर्भर भारत में टॉय इंडस्ट्री को बड़ी भूमिका निभानी है। असहयोग आंदोलन के समय गांधीजी ने कहा था कि यह भारतीयों में आत्मविश्वास जगाने का आंदोलन है। ऐसा ही आत्मनिर्भर भारत आंदोलन के साथ भी है।
- पीएम ने मन की बात के दौरान लोगों से खान-पान में पोषकता का ध्यान रखने की अपील करते हुए कहा: बच्चे अपनी पूरी क्षमता दिखा पाएं, इसमें पोषण आहार की बड़ी भूमिका है। सितंबर को पोषण महीने के तौर पर मनाया जाएगा। पेट में पल रहे बच्चे के लिए जरूरी है कि मां को भी जरूरी पोषक तत्व मिलें। कितना खाना है, इसकी बजाय यह आवश्यक है कि सही मात्रा में विटामिन-प्रोटीन मिल रहे हैं या नहीं। राशन कार्ड की तरह न्यूट्रीशन कार्ड भी बनाए जाएं। इसके प्रयास किए जा रहे हैं।