दिल्ली डेस्क
प्रखर प्रहरी
दिल्लीः वरिष्ट वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ अदालत की अवमानना के मामले को लेकर कानून की पढ़ाई करने वाले 122 छात्रों ने एक भावनात्मक पत्र लिखा है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे और अन्य जस्टिसों को लिखे इस खत में सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में अपने फैसले पर फिर से विचार करने की अपील की गई है।
आपको बता दें कि अदालत की अवमानना मामले में कोर्ट सोमवार को भूषण के खिलाफ फैसला सुनाने वाला है। कोर्ट ने 11 अगस्त को भूषण को उनके ट्वीट्स को लेकर अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया था और फैसला सुरक्षित रख लिया था। भूषण ने
छात्रों ने खत में कहा है कि न्यायापालिका को लोगों में भरोसा बहाल कर आलोचना का जवाब देना चाहिए। छात्रों ने कहा है कि आलोचना पीड़ा से उठे और न्याय की मांग करे, तो न्यायपालिका को अवमानना का आरोप नहीं लगाना चाहिए। वह भी ऐसे व्यक्ति पर, जो उसी गहराई से न्याय मांग रहा हो, जो वह दूसरों के लिए मांगता रहा है। छात्रों ने कहा है कि उन्होंने लंबे समय से भूषण को भ्रष्टाचार के खिलाफ और पारदर्शिता, जवाबदेही, पर्यावरण संरक्षण, मानवाधिकारों के लिए कोर्ट में लड़ते देखा है। कानून के क्षेत्र और राष्ट्र निर्माण में उनका योगदान निःसंदेह सराहनीय है। छात्रों ने कहा है कि जिन दो ट्वीट के आधार पर भूषण को अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया गया है, वह ट्वीट उस उस बेआवाज तबके का प्रतिनिधित्व कर रहे थे, जिन्हें दरकिनार कर दिया गया है। ये ट्वीट कोर्ट की पवित्रता को चोट नहीं पहुंचाते।