दिल्ली डेस्क

प्रखर प्रहरी

दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने लॉकडाउन की अवधि में लोन मोरेटोरियम मामले में केंद्र सरकार को फटकार लगाई है और इस मामले में सात में हलफनामा दायर कर ब्याज माफी को लेकर स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। कोर्ट ने 26 अगस्त को इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा,  “लोगों की परेशानियों की चिंता छोड़कर आप सिर्फ बिजनेस के बारे में नहीं सोच सकते है। ऐसा लगता है कि सरकार आरबीआई के फैसले की आड़ ले रही है, जबकि उसके पास खुद फैसला लेने का अधिकार है। आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत सरकार बैंकों को ब्याज पर ब्याज वसूलने से रोक सकती है।” इस मामले में अगली सुनवाई एक सितंबर को होगी।

आपको बता दें कि आरबआई ने कोरोना वायरस और लॉकडाउन की वजह से मार्च में लोगों को मोरेटोरियम यानी लोन की ईएमआई तीन महीने के लिए टालने की सुविधा दी थी, जिसे बाद में तीन महीने और बढ़ाकर 31 अगस्त तक के लिए कर दिया गया था। आरबीआई ने कहा था कि ब्जााज की किश्त 6 महीने नहीं चुकाएंगे, तो इसे डिफॉल्ट नहीं माना जाएगा, लेकिन मोरेटोरियम के बाद बकाया पेमेंट पर पूरा ब्याज देना पड़ेगा।

उत्तर प्रदेश के आगरा निवासी गजेंद्र शर्मा ने ब्याज की शर्त को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। उनकी दलील है कि ब्याज में भी छूट मिलनी चाहिए, क्योंकि ब्याज पर ब्याज वसूलना गलत है। याचिकाकर्ता के वकील कपिल सिब्बल ने आज  सुनवाई के दौरान कोर्ट से ब्याज माफी की अर्जी पर फैसला नहीं आने तक मोरेटोरियम पीरियड बढ़ाने की अपील की। उधर सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार, “सरकार आरबीआई के साथ समन्वय कर रही है। सभी समस्याओं का एक जैसा निदान नहीं हो सकता।”

पिछले सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा था कि सरकार इसे बैंकों और उफभोक्ता के बीच का मामला बताकर पल्ला नहीं झाड़ सकती है। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि बैंक हजारों करोड़ रुपए एनपीए में डाल देते हैं, लेकिन कुछ महीने के लिए टाली गई ईएमआई पर ब्याज वसूलना चाहते हैं।

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