दिल्ली डेस्क
प्रखर प्रहरी
दिल्लीः सुशांत सिंह राजपूरी की मौत को लेकर बिहार में दर्ज मुकदमा महाराष्ट्र स्थानांतरित किया जाए या नहीं? साथ ही इस मामले की जांच सीबीआई यानी केंद्रीय जांच ब्यूरो करती रहेगी या नहीं? इसका आज फैसला हो जाएगा। सुप्रीम कोर्ट आज इन दोनों मामलों में अपना फैसला सुनाएगा।
जस्टिस हृषिकेश रॉय ने सुशांत की गर्ल फ्रेंड एवं बॉलीवुड अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती, सुशांत के पिता केके सिंह, केंद्र सरकार, बिहार सरकार और महाराष्ट्र सरकार की दलीलें सुनने के बाद 11 अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया था। इन सभी की ओर से क्रमश: वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान, विकास सिंह, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, मनिंदर सिंह और अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में दलीलें पेश की।
कोर्ट में सुनवाई के दौरान किसने क्या कहा…
सुनवाई की शुरुआत में रिया के वकील श्याम दीवान ने दलील दी थी कि सीबीआई जांच बिना राज्य की मंज़ूरी के शुरू नहीं हो सकती है और इस मामले में जांच करने वाला पहला राज्य महाराष्ट्र है, इसलिए महाराष्ट्र सरकार की मंज़ूरी के बिना सीबीआई जांच नहीं हो सकती। उन्होंने बिहार के पटना में दायर प्राथमिकी को मुंबई स्थानांतरित करने की मांग की करते हुए कहा था कि मुम्बई पुलिस इस मामले की सही तरीक़े से जांच कर रही है। मुंबई पुलिस 56 लोगों से पूछताछ कर चुकी है, इसलिए जांच मुम्बई पुलिस के पास ही रहनी चाहिए, अन्यथा उसे (सुशांत) इंसाफ नहीं मिलेगा।
वहीं केंद्र की ओर से पेश हुए मेहता ने महाराष्ट्र सरकार की ओर से दाखिल जवाब पर सवाल उठाया और कहा था कि महाराष्ट्र में अब तक इस मामले में प्राथमिकी दर्ज क्यों नहीं की गई। उन्होंने इस मामले की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच की आवश्यकता जताई थी। सॉलिसिटर जनरल ने सीबीआई जांच की केंद्र की मंजूरी को सही ठहराते हुए कहा था कि संबंधित मामले में प्रवर्तन निदेशालय धनशोधन की जांच भी कर रहा है, जो केन्द्रीय एजेंसी है। ऐसे में दूसरी जांच एजेंसी भी केंद्र की ही होनी चाहिए, राज्य की नहीं। उन्होंने दलील दी थी कि सीआरपीसी यानी आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 174 के तहत दुर्घटना में हुई मौत की शुरुआती जांच बहुत कम समय तक चलती है। शव को देखकर और घटनास्थल पर जाकर देखा जाता है कि मौत की वजह संदिग्ध है या नहीं। फिर प्राथमिकी दर्ज होती है, लेकिन इस मामले में मुंबई पुलिस जो कर रही है, वह सही नहीं है। उन्होंने कहा था कि महाराष्ट्र पुलिस ने अब तक 56 लोगों से भले ही पूछताछ की है, लेकिन इसके कोई मायने नहीं है। यह कानून सम्मत नहीं है, क्योंकि पुलिस ने अभी तक इसमें प्राथमिकी दर्ज नहीं की है।
उधर, बिहार सरकार की ओर से पेश हुए मनिन्दर सिंह ने कहा था कि राजनैतिक दबाव में बिहार सरकार नहीं, बल्कि महाराष्ट्र सरकार है, जिसने अभी तक सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में प्राथमिकी दर्ज तक नहीं की है। यहां तक कि बिहार के पुलिस अधिकारी को जबर्दस्ती क्वारंटीन करने के नाम पर रोका गया। कोर्ट को खुद ही इस बात पर ध्यान देना होगा कि महाराष्ट्र पुलिस का रवैया कैसा है। उन्होंने कहा था कि यदि सुशांत के बैंक खाते से 15 करोड़ रुपये गायब हुए हैं तो सुशांत के पिता को पटना में रिपोर्ट दर्ज करवाने का हक था। मुंबई पुलिस ने सिर्फ मीडिया को दिखाने के लिए जांच का दिखावा किया। हकीकत में कोई जांच नहीं की गई।
वहीं महाराष्ट्र के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट की सिंगल बेंच द्वारा किसी मामले को सीबीआई को सौंपने के लिए सुनवाई करने के अधिकार क्षेत्र पर सवाल खड़े किये थे।
उधर, सुशांत के पिता के वकील विकास सिंह ने कहा था, “मीडिया में क्या-क्या रिपोर्ट आ रही है, मैं उसे यहां बताना नहीं चाहता। लेकिन कुछ मीडिया रिपोर्ट में तो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के पुत्र का नाम भी आ रहा है।” उन्होंने कहा कि सुशांत को परिवार से दूर किया जा रहा था। सुशांत के पिता ने बार-बार पूछा था कि मेरे बेटे का क्या इलाज हो रहा है? मुझे वहां आने दो, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। मामले में कई पहलू जांच के लायक हैं।” उन्होंने कहा था कि ऐसा लग रहा है कि सुशांत के गले पर बेल्ट के निशान थे। सुशांत की बॉडी को किसी ने पंखे से लटका हुआ नहीं देखा। सुशांत के पैसे को लेकर धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात पटना में हुआ था, इसलिए प्राथमिकी पटना में दर्ज कराई गई है। कोर्ट ने सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।