दिल्ली डेस्क
प्रखर प्रहरी
दिल्लीः जय श्रीकृष्ण…आज श्रीकृष्ण जन्माष्टमी है। ब्रज सहित पूरे देश और विदेश में भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव को मनाया जा रहा है। वहीं नन्दगांव में समेत देश के कई हिस्सों में एक दिन पहले 11 अगस्त यानी मंगलवार को प्रभु श्रीकृष्ण के प्रकट दिवस को मनाया गया।
कोरोना वायरस के मद्देनजर मंदिरों में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर पाबंदी के बीच आज मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाएगा। इतिहास में पहली बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर मथुरा से द्वारिका तक मंदिर खाली हैं। मुंबई की सड़कों पर गोविंदा आला रे.. नहीं गूंज रहा है। सभी तीर्थस्थलों के मंदिर 10 अगस्त की दोपहर 12 बजे से 13 अगस्त दोपहर बाद तक श्रद्धालुओं के लिए बंद रहेंगे।
कोरोना के कारण आज सार्वजनिक उत्सव और मटकी फोड़ कार्यक्रम का आयोजन नहीं होंगे। मंदिरों में भी भक्तों को कृष्ण जन्मोत्सव देखने को नहीं मिलेगा। प्रभु श्री कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा और उनकी राजधानी द्वारिका में इतिहास में पहली बार बिना किसी किसी कार्यक्रम का आयोजन किये जन्माष्टमी मनाई जा रही है। इन दोनों जिलों की सीमाएं 48 घंटे पहले सील कर दी गई हैं। मंदिरों में सिर्फ पुजारी और सुरक्षाकर्मियों के बीच ही जन्मोत्सव मनेगा।
कोरोना महामारी के कारण मुंबई की गलियों में इस बार ‘गोविंदा आला रे आला’ की गूंज सुनाई नहीं देगी और न इंसानी मीनारें दिखाई देंगी। कोविड-19 के मद्देनजर मुंबई के गोविंदा मंडलों ने फैसला किया है कि इस बार मटकी फोड़ने का कार्यक्रम नहीं करने का फैसला लिया है।
इस बार कृष्ण जन्माष्टमी दो दिन मनाई जा रही है। कुछ स्थानों पर 11 अगस्त को जन्मोत्सव मनाया गया तो कुछ जगहों पर 12 अगस्त यानी आज जन्माष्टमी मनाई जा रही है। इसके पीछे तिथि और नक्षत्र विशेष कारण हैं। आपको बता दें कि श्रीकृष्ण जन्मोत्सव भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास में अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इस बार पंचांग के अनुसार अष्टमी की तिथि 11 अगस्त सुबह 9 बजकर 6 मिनट से आरंभ होकर 12 अगस्त को सुबह 11 बजकर 16 मिनट पर समाप्त हो रही है। 11 अगस्त को भरणी और 12 अगस्त को कृतिका नक्षत्र है। इसके बाद रोहिणी नक्षत्र आता है जो 13 अगस्त को रहेगा। इसीलिए कुछ स्थानों पर इस दिन भी जन्माष्टमी का पर्व मनाया जा रहा है।
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार कंस का वध करने भगवान श्रीकृष्ण ने भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को धरती पर अवतार लिया था। इसी कारण से हर साल भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को कृष्म जन्माष्टी के तौर पर मनाया जाता है। विद्वानों के अनुसार वैष्णव लोग भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि में सूर्यादय होने के अनुसार ही जन्माष्टमी का पर्व मनाते हैं, लेकिन नन्दगांव में इसके उलट श्रावण मास की पूर्णमासी के दिन से आठवें दिन ही जन्माष्टमी मनाने की प्रथा चली आ रही है। मथुरा के ठाकुर द्वारिकाधीश मंदिर, वृन्दावन के ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में भी कृष्ण जन्माष्टमी पर्व आज ही मनाया जाएगा।
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