बिजनेस डेस्क

प्रखर प्रहरी

मुंबईः आरबीआई यानी भारतीय रिजर्व बैंक नीतिगत दरों को यथावत रखने का निर्णय लिया है और कहा है कि कोरोना के प्रभाव से अर्थव्यवस्था के उबरने तक उसका रुख एकोमोडेटिव बना रहेगा।

आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की तीन दिवसीय दूसरी बैठक की समाप्ति के बाद आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज समिति द्वारा लिये गये निर्णयों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि समिति ने रेपो दर को चार प्रतिशत, रिवर्स रेपो दर को 3.35 प्रतिशत, बैंक दर को 4.25 प्रतिशत और मार्जिनल स्टैंडिंग फैस्लीलिटी (एमएसएफ) को 4.25 प्रतिशत पर यथावत रखने का निर्णय लिया है।

उन्होंने बताया कि कोविड-19 से प्रभावित अर्थव्यवस्था में कुछ सुधार के संकेत मिल रहे थे, लेकिन इस संक्रमण से प्रभावितों की संख्या में हो रही तेज वृद्धि के कारण कुछ राज्यों और बड़े शहरों में फिर से लॉकडाउन लगाये जाने के कारण फिर से शिथिल हो गये हैं। उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में महंगाई बढ़ने की आशंका है, लेकिन दूसरी छमाही में इसमें नरमी आ सकती है।

दास ने बताया कि इस महामारी के कारण पूरे चालू वित्त वर्ष में जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर ऋणात्मक रहने का अनुमान है। समिति का मानना है कि चालू वर्ष की पहली छमाही में वैश्विक आर्थिक गतिविधियां उतार-चढ़ाव का सामना करती रहेंगी। दुनिया की कई प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में जुलाई में फिर से कोरोना वायरस संक्रमण में तेजी आने से सुधार के संकेत धूमिल होने लगे हैं। हालांकि वैश्विक वित्तीय बाजार में तेजी देखी जा रही है।

आरबीआई ने गोल्ड लोन को और आकर्षक बनाया है । पहले स्वर्ण लोक सोना के कुल मूल्य के मुकाबले 75 फीसदी राशि का मिलता था। अब इसे बढ़ाकर 90 फीसदी कर दिया है। यह सुविधा 31 मार्च 2021 तक ही है। इसके अलावा आरबीआई ने एनएचबी यानी नेशनल हाउसिंग बैंक और नाबार्ड को 10 हजार करोड़ का अडिशनल फंड देने का ऐलान किया है।

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