विदेश डेस्क

प्रखर प्रहरी

पेरिसः भारतीय वायुसेना की ताकत बढ़ने वाली है। इसके बेड़े अब फोर्थ जेनरेशन का फाइटर जेट राफेल जुड़ने वाला है। फ्रांस के बंदरगाह शहर बोर्डेऑस्क के वायुसेना अड्डे से पांच राफेल लड़ाकू विमान भारत के लिए रवाना हो चुके हैं। ये पांचों विमान इस समय यूईए यानी यूएई यानी संयुक्त अरब अमीरात के अल-दफरा एयरबेस पर है। पायलटों को अराम देने के लिए इन विमानों को यूईए में लैंड कराया गया है। फ्रांस से यूएई पहुंचने में इन विमानों को लगभाग सात घंटे लगे। ये पांचों विमान सात हजार किलोमीटर की दूरी तय कर 29 जुलाई यानी बुधवार हरियाणा के अंबाला पहुंचेंगे, जहां पर इनकी तैनाती होगी। इन विमानों की रवानगी के समय फ्रांस में भारत के राजदूत जावेद अशरफ भी मेरिनेक एयरबेस पर मौजूद थे। इस दौरान वे पायलटों से भी मिले और उन्हें बधाई दी। साथ ही उन्होंने फ्रेंच एयरफोर्स और राफेल बनाने वाली कंपनी दसॉल्ट एविएशन को भी धन्यवाद दिया।

2021 के अंत तक भारत आएंगे 36 राफेल
वायुसेना ने बताया कि 10 राफेल विमानों की आपूर्ति समय पर पूरी हो गई है और इनमें से भारत के लिए रवाना हो चुके हैं, जबकि पांच विमान प्रशिक्षण मिशन के लिए फ्रांस में ही रुकेंगे। सभी 36 विमानों की आपूर्ति 2021 के अंत तक हो जाएगी।


परमाणु हमला करने में सक्षम है विमान

राफेल डीएच (टू-सीटर) और राफेल ईएच (सिंगल सीटर), दोनों ही ट्विन इंजन, डेल्टा-विंग, सेमी स्टील्थ कैपेबिलिटीज के साथ चौथी जनरेशन का लड़ाकू विमान है। यह न सिर्फ फुर्तीला है, बल्कि यह परमाणु हमला करने भी सक्षम है। इसे रडार क्रॉस-सेक्शन और इन्फ्रा-रेड सिग्नेचर के साथ डिजाइन किया गया है। इसमें ग्लास कॉकपिट के साथ ही एक कम्प्यूटर सिस्टम भी है, जो पायलट को कमांड और कंट्रोल करने में मदद करता है। इसमें एम 88 इंजन ताकतवर लगा हुआ है। राफेल में एक एडवांस्ड एवियोनिक्स सूट भी है। इसमें लगा रडार, इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन सिस्टम और सेल्फ प्रोटेक्शन इक्विपमेंट की लागत पूरे विमान की कुल कीमत का 30 प्रतिशत है। इस जेट में आरबीई-2 एए एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे (एईएसए ) रडार लगा है, जो लो-ऑब्जर्वेशन टारगेट को पहचानने में मदद करता है।


100 किलोमीटर के दायरे में लक्ष्य की पहचान कर लेता है राफेल
राफेल में सिंथेटिक अपरचर रडार (एसएआर ) भी लगा है, जो आसानी से जाम नहीं हो सकता है। साथ ही इसमें लगा स्पेक्ट्रा लंबी दूरी के टारगेट को भी पहचान सकता है। इसके अलावा किसी भी खतरे की आशंका की स्थिति में इसमें लगा रडार वॉर्निंग रिसीवर, लेजर वॉर्निंग और मिसाइल एप्रोच वॉर्निंग अलर्ट हो जाता है और रडार को जाम करने से बचाता है। राफेल का रडार सिस्टम 100 किलोमीटर के दायरे में लक्ष्य की पहचान कर लेता है। इसमें 125 राउंड के साथ 30 एमएम की कैनन है। ये एक बार में साढ़े नौ हजार किलोग्राम का सामान ले जा सकता है।

राफेल को बनाया जा रहा है और शक्तिशाली
राफेल लड़ाकू विमान को और अधिक शक्तिशाली बनाया जा रहा है। इसके लिए इसे हैमर मिसाइल से लैस किया जा रहा है। वायु सेना ने इसके लिए इमरजेंसी ऑर्डर कर दिए गए है। हैमर यानी हाइली एजाइल मॉड्यूलर म्यूनिशन एक्सटेंडेड रेंज मीडियम रेंज मिसाइल है, जिसे फ्रांस की वायुसेना और नेवी के लिए बनाया गया था। ये आसमान से जमीन पर वार करती है। हैमर दुर्गम पहाड़ी इलाकों में भी मजबूत से मजबूत शेल्टर और बंकरों को तबाह कर सकती है।

मीटियर और स्काल्प जैसी मिसाइलों से लैस है राफेल
राफेल को मीटियर और स्काल्प जैसी मिसाइलों से भी लैस है। मीटियर विजुअल रेंज के पार भी अपना लक्ष्य को साध सकने वाली अत्याधुनिक मिसाइल है। इसकी इसी खासियत के लिए दुनिया में जाना जाता है। मीटियर की रेंज 150 किलोमीट है। वहीं स्काल्प डीप रेंज में टारगेट हिट कर सकती है। स्काल्प करीब 300 किलोमीटर तक अपने लक्ष्य पर सटीक निशाना लगा सकती है और उसे तबाह कर सकती है।

आपको बता दें कि भारत ने 2016 में फ्रांस के साथ 58 हजार करोड़ में 36 राफेल लड़ाकू विमानों की डील की थी। इनमें से 30 लड़ाकू विमान होंगे, जबकि छह ट्रेनिंग एयरक्राफ्ट होंगे। ट्रेनर जेट्स टू सीटर होंगे और इनमें भी फाइटर जेट्स जैसे सभी फीचर होंगे।

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