दिल्ली डेस्क
प्रखर प्रहरी
दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मानवीय मूल्यों पर आधारित बनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र सहित वैश्विक संस्थाओं में सुधार करने की वकालत की है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र मूलत: द्वितीय विश्व युद्ध की राख से उपजा था और आज महामारी के अवशेष से इसके पुनर्जन्म एवं सुधार का एक संदर्भ उत्पन्न हुआ है। हमें यह अवसर नहीं गंवाना चाहिए।
मोदी ने 17 जुलाई को संयुक्त राष्ट्र की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक परिषद को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये संबोधित करते हुए सिर्फ परिवर्तित संयुक्त राष्ट्र को केन्द्र में रखकर संशोधित बहुपक्षवाद से ही मानवीयता की महत्वाकांक्षाएं पूरी की जा सकतीं हैं। आज संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर हम वैश्विक बहुपक्षीय प्रणाली में सुधार का संकल्प लें। संयुक्त राष्ट्र की प्रासंगिकता बढ़ाकर और इसकी प्रभावशीलता में उन्नयन करके ही इसे नये तरह से मानव केन्द्रित वैश्वीकरण का आधार बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र मूलत: द्वितीय विश्व युद्ध की राख से उपजा था और आज महामारी के अवशेष से इसके पुनर्जन्म एवं सुधार का एक संदर्भ उत्पन्न हुआ है। हमें यह अवसर नहीं गंवाना चाहिए। आज के विश्व में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका एवं प्रासंगिकता का आकलन करके बेहतर भविष्य को आकार देने का है।
उन्होंने कहा कि भारत आरंभ से ही संयुक्त राष्ट्र के विकास एजेंडे का समर्थक रहा है जिसमें सहस्राब्दि विकास लक्ष्य शामिल हैं। आज भारत अपने घरेलू लक्ष्यों के माध्यम से 2030 के सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों को हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और दूसरे देशों की सहायता कर रहा है। हमारा नारा है – सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास है। हमारे समावेशी कार्यक्रम बहुत सफल रहे हैं चाहे वे कुपोषण, स्वास्थ्य शिक्षा, विद्युतीकरण के हो या आवास के। उन्होंने कहा कि भारत ने गत वर्ष छह लाख गांवों में स्वच्छता सुनिश्चित करके महात्मा गांधी की 150वीं जन्म जयंती मनाई है। गत पांच वर्ष में हमने 11 करोड़ शौचालय बनाये जिससे ग्रामीण स्वच्छता 38 प्रतिशत से बढ़कर 100 प्रतिशत हो गई। भारत ने बुनियादी एवं माध्यमिक शिक्षा में लैंगिक समानता हासिल कर ली है। गांवों की सात करोड़ महिलाएं स्वसहायता समूहों के माध्यम से बड़े पैमाने पर जनजीवन में बदलाव ला रहीं हैं। दस लाख से अधिक महिलाएं स्थानीय निकायों में निर्वाचित प्रतिनिधि हैं। छह साल में 40 करोड़ बैंक खाते खोले गये हैं जिनमें 22 करोड़ खाते महिलाओं के हैं। तकनीक की ताकत से वित्तीय समावेशन आया। इससे 70 करोड़ लोगों को 150 अरब डॉलर की राशि का गरीबों के खातों में सीधा हस्तांतरण किया गया। हमारे खाद्य सुरक्षा कार्यक्रमों से 81.3 करोड़ लोग जुड़े हैं।
पीएम ने कहा कि भारत ने किसी भी आपदा में तत्परता से मदद का हाथ बढ़ाया है। कोविड के विरुद्ध साझा लड़ाई में हमने 150 देशों को चिकित्सकीय तथा अन्य प्रकार की मदद दी है। सार्क कोविड इमरजेंस फंड की स्थापना की है। भारत में लोगों की मदद के लिए 300 अरब डॉलर का पैकेज घोषित किया है ताकि हमारी अर्थव्यवस्था पटरी पर आ सके। हमने आत्मनिर्भर भारत का विज़न सामने रखा है ताकि खुद के पैरों पर खड़ा भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था में सहयोग कर सके।
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