दिल्ली डेस्क
प्रखर प्रहरी
दिल्लीः यूपी के कुख्यात अपराधी विकास दुबे तथा उसके गुर्गों के एनकाउंटर का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। इस सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट में दो जनहित याचिकाएं लगाई गई हैं। वहीं एक वकील ने चीफ जस्टिस एसए बोबडे को पत्र लिख कर इस मामले की सीबीआई, एनआईए या कोर्ट की निगरानी में जांच कराने की मांग की है।
सुप्रीम कोर्ट के वकील अनूप अवस्थी ने अपने पत्र में एनकाउंटर पर सवाल उठाते हुए कहा है कि क्या त्वरित न्याय के नाम पर पुलिस इस तरह कानून अपने हाथ में ले सकती है? उन्होंने अपनी याचिका में ‘ओम प्रकाश एवं अन्य बनाम झारखंड सरकार’ के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लेख किया है, जिसमें कहा गया है कि पुलिस अधिकारी किसी अभियुक्त को सिर्फ इसलिए जान से नहीं मार सकते कि वह कुख्यात अपराधी है। पुलिस का कार्य अपराधी को गिरफ्तार करना और उसके खिलाफ ट्रायल करवाना है। भारत की आपराधिक न्याय व्यवस्था के तहत मुठभेड़ को कानूनी मान्यता नहीं दी गयी है और यह सरकार प्रायोजित आतंकवाद की श्रेणी में आता है।
उन्होंने सवाल उठा है कि विकास दुबे के घर को ढहाकर, उसे तथा उसके साथियों को कथित मुठभेड़ों में मारकर अपराधियों, पुलिसकर्मियों और राजनेताओं के बीच की सांठगांठ को उजागर होने से बचाने का प्रयास तो नहीं किया गया है?
वहीं पीयूसीएल यानी पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज अपनी याचिका में इन घटनाओं को एसआईटी यानी विशेष जांच दल से जांच कराने की मांग की है।
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