जगदीप ने अपने दमदार अभियन के बुते बॉलीवुड में पांच दशकों तक राज किया, लेकिन लाखों दिलों पर राज करने वाले हास्य कला के बेताज बादशाह इस अभिनेता को फिल्मी दुनिया में अपनी पहचान बनाने के लिए काफी संघर्ष का भी सामना करना पड़ा था।
सूरमा भोपाली के नाम से मशहूर जगदीप का जन्म 29 मार्च, 1939 को मध्य प्रदेश के दतिया में एक वकील के घर हुआ था।उन्होंने तीन शादियां की थी और जगदीप के दो बेटे अभिनेता जावेद जाफरी और नावेद जाफरी फिल्मी दुनिया में जाना-पहचाना नाम हैं। जगदीप जब आठ साल के थे, तो उनके पिता का निधन हो गया। देश का विभाजन हुआ, तो परिवार तितर-बितर हो गया। ऐसे में जगदीप अपनी मां के साथ बंबई आ गये। जगदीप का मन पढ़ाई में नहीं लगता था। साथ ही पैसों की कमी के कारण उनका पढ़ाई से मन उचट गया। पढ़ाई छोड़ वह काम की तलाश में लग गए और सड़कों पर कंघी बेचना शुरू कर दिया।
जगदीप ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत 1951 बीआर चोपड़ा की फिल्म ‘अफसाना’ से बतौर बाल कलाकार के तौर पर की थी और इस फिल्म में उनका नाम मुन्ना मास्टर था। जगदीप ने इस फिल्म में सिर्फ इसलिए काम किया क्योंकि कंघी बेचकर दिनभर में वह जितना कमा पाते थे, फिल्म में उन्हें उससे दोगुना मिल रहा था। इसके बाद जगदीप ने बतौर बाल कलाकार लैला मजनूं , मुन्ना और आरपार जैसी फिल्मों में काम किया। जगदीप विमल रॉय की फिल्म ‘दो बीघा जमीन’ से फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गये। इसके बाद फिल्म ‘हम पंछी एक डाल के’ में जगदीप के काम को लोगों ने काफी सराहा। उनकी कला की प्रशंसा करने वालों में देश के के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू भी शामिल थे।
जगदीप ने अपने फिल्मी करियर में करीब 400 फिल्मों में काम किया । साल 1975 में प्रदर्शित शाहकार रमेश सिप्पी निर्देशित फिल्म शोले में जगदीप ने ‘सूरमा भोपाली’ का किरदार निभाया, जो उनकी पहचान बन गया। फिल्म शोले में जगदीप का बोला गया संवाद ‘हमारा नाम सुरमा भोपाली ऐसई नई हे’ काफी मशहूर हुआ। आज भी फैन्स के बीच जगदीप सूरमा भोपाली के नाम से मशहूर हैं। यह फिल्म उनके फिल्मी करियर में मील का पत्थर साबित हुई.।
‘सूरमा भोपाली’ का किरदार दअसल भोपाल के वन अधिकारी नाहर सिंह पर आधारित था, जिनकी डींगे मारने की आदत थी। इस वजह से लोग उनको ‘सूरमा’ कहते थे। नाहर सिंह, सुप्रसिद्ध लेखक जोड़ी सलीम-जावेद से अक्सर मिलते थे। इस वजह से जब इन दोनों लेखकों ने जब फिल्म ‘शोले’ लिखना शुरू किया तो कॉमेडी का तड़का डालने के लिए नाहर सिंह से मिलता किरदार ‘सूरमा भोपाली’ तैयार कर दिया। जब फिल्म रिलीज़ हुई और ‘सूरमा भोपाली’ मशहूर हो गए, लेकिन नाहर सिंह का काफी मज़ाक बनने लगा। नाहर सिंह सलीम-जावेद से खफा हो गए। एक तो उनका फिल्म में मज़ाक बनाया, ऊपर से वन अधिकारी को लकड़हारा बना दिया। ऐसे में नाहर सिंह सीधे मुंबई पहुंच गए और जगदीप के सामने आकर खड़े हो गए।
इस क़िस्से के बारे में जगदीप ने खुद जानकारी दी थी। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था, “फिल्म शोले के रिलीज होने के एक साल बाद मैं एक स्टूडियो में शूटिंग कर रहा था। तभी मेरी नजर एक आदमी पर पड़ी, वो मुझे घूर रहा था। कुछ दिनों पहले ही निर्देशक शक्ति सामंत पर हमला हुआ था। ऐसे में मैं काफी डर गया था। मैं चुपचाप वहां से निकल रहा था तभी उसने मुझे रोककर कहा कहां जा रहे हो खां। मुझे देखो मेरा रोल किया है और मुझे ही नहीं पहचानते हो। दो साल का बच्चा भी मेरा लकड़हारा कहकर मजाक बना रहा है। जगदीप को समझ नहीं आया कि किस तरह से नाहर सिंह को समझाया जाए लेकिन बाद में जॉनी वॉकर ने उनकी मदद की और नाहर सिंह को समझा कर वापस भोपाल भेजा।”जगदीप ने एक फिल्म का निर्देशन किया था जिसका नाम सूरमा भोपाली था। इस फिल्म में लीड किरदार भी उन्होंने खुद निभाया था।
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