विदेश डेस्क

प्रखर प्रहरी

दिल्लीः चीन अपनी हरतों से बाज नहीं आ रहा है। उसने एक बार फिर  उत्तरी लद्दाख क्षेत्र की गलवान घाटी पर अपनी संप्रभुता का दावा किया है और कहा है कि उसके सैनिक वहां कई वर्षों से गश्त लगा रहे हैं।

चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल वू कियान ने संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि गलवान घाटी पर चीनी संप्रभुता है और चीन के सैनिक वर्षों से इस क्षेत्र में नियमित गश्त लगा रहे हैं। कियान यह बयान ऐसे समय आया है जब एक दिन पहले ही भारत और चीन की फौजें हॉट स्प्रिंग और पांगोंग त्सो में  पीछे हटने को राजी हुई हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि इस वर्ष अप्रैल से भारतीय सैनिकों ने गलवान घाटी में एलएसी यानी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर एकतरफा निर्माण संबंधी गतिविधियां शुरू कर दी थी। चीन की तरफ से इस बारे में कई बार आपत्तियां दर्ज कराई गई थी।
भारत ने कई बार चीन के इस दावे को खारिज करते हुए कहा है कि गलवान घाटी पर उसका अधिकार ऐतिहासिक आधार पर भी स्पष्ट है।

उन्होंने कहा कि चीन के विदेश मंत्री वांग यी और भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने इस घटना के बाद  फोन पर बातचीत की और मामले को शांत करने की कोशिश की।  इसके अलावा 22 जून को दोनों देशों के बीच दूसरी कोर कमांडर-स्तरीय बैठक हुई। इस बैठक में दोनों पक्षों ने सीमा पर तनाव कम करने, नियंत्रण और सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता को बनाए रखने पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि भविष्य में सीमा की स्थिति को देखते हुए मैं यही कहना चाहता हूं कि भारत और चीन दोनों अहम पड़ोसी हैं। सीमा पर शांति बनाए रखना दोनों पक्षों के हितों में है और इसके लिए समान प्रयास किए जाने की आवश्यकता है।

कियान ने कहा कि चीन को उम्मीद है कि भारत- चीन के साथ मिलकर काम करें। दोनों नेताओं के बीच जिन महत्वपूर्ण मसलों पर सहमति हुई है उसका ईमानदारी से पालन करें। विभिन्न स्तरों पर संवाद के जरिए प्रासंगिक मसलों को उपयुक्त तरीके से निपटायें। सीमा पर व्याप्त तनाव को कम करने के लिए दोनों पक्षों को अपनी तरफ से व्यापक स्तर पर प्रयास करने चाहिए और इन क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाई रखी जाए।


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