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पहली बार भगवान निकले बाहर, भक्त रहे घरों में,बलभद्र,सुभद्रा संग गुंडिचा मंदिर पहुंचे भगवान जगन्नाथ

संवाददाता

प्रखर प्रहरी

पुरीः ओडिशा तीर्थ नगरी पुरी में इस साल भगवान जगन्नाथ की विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा कई मायनों में अनूठी रही। इस साल भगवान बलभद्र, उनकी बहन सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ से जुड़े तीनों बड़े रथों-तालध्वज, दर्पदलान और नंदीघोष को श्रद्धालुओं ने नहीं, बल्कि मंदिर के सेवादार और पुलिसकर्मियों की मदद से खींचा गया। सदियों से चली आ रही इस परंपरा में ऐसा पहली बार हुई है जब रथ यात्रा में कोई श्रद्धालु शामिल नहीं हुआ। 

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक प्रत्येक रथ को 500 सेवादार और पुलिस के जवानों ने खींचा। आज पुरी के गजपति राजा दिव्य सिंह देव की ओर से स्वर्ण झाड़ू से रथों को बुहारने के बाद रथ यात्रा की प्रक्रिया शुरू हुई। तीनों रथ निर्धारित समय से पहले ही अपने गंतव्य गुंडिचा मंदिर में पहुंचे। भगवान बलभद्र का रथ तालध्वज 15:52 बजे  गुंडिचा मंदिर पहुंचा, जबकि दर्पदलान बहन सुभद्रा को लेकर 16:11 बजे तथा भगवान जगन्नाथ को लेकर नंदीघोष 17:20 बजे गुंडिचा मंदिर पहुंचा।

कोविड-19 के प्रकोप के कारण इस साल रथ यात्रा में श्रद्धालु शामिल नहीं हुए, जिसके श्री जगन्नाथ मंदिर के सामने स्थित लायंस गेट से उनके मौसी के घर यानी गुंडिचा मंदिर के बीच की तीन किलोमीटर की यात्रा में कोई खासा समय नहीं लगा। फूलों और लाल, पीले, हरे और काले अलग-अलग रंगों के कपड़ों के साथ सजे तीन देवताओं ने गुंडिचा मंदिर में नौ दिनों के प्रवास के लिए दिव्य यात्रा दिन में 12 बजे शुरू की। एक-एक घंटे के अंतराल के बाद इन रथ यात्रा को अंजाम दिया गया। ब्रह्मांड के भगवान के रूप में जाने जाने वाले भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में हर वर्ष दुनिया के विभिन्न हिस्सों से आए लाखों भक्त शामिल होते थे, लेकिन इस बार कोरोना महामारी और शीर्ष अदालत के निर्देश वे इससं वंचित रह गये। करोडों की संख्या में श्रद्धालुओं ने इस बार टेलीविजन एवं अन्य माध्यमों के जरिये रथ यात्रा को देखना पड़ा। संभवत:ऐसा पहली बारहुआ जब राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मंत्रियों और न्यायाधीशों सहित सभी महत्वपूर्ण व्यक्ति भी रथ यात्रा के दौरान मौजूद नहीं थे। ग्रैंड रोड के दोनों किनारों पर इमारतों की छतों पर जिन पर आमतौर पर दिव्य यात्रा शुरू होने से कई घंटे पहले कब्जा कर लिया जाता था, आज भगवान की यात्रा देखने के लिए छतों पर एक भी कोई दिखाई नहीं दिया। कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए प्रशासन ने तीर्थनगरी को पूरी तरह बंद कर दिया था।

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