दिल्लीः ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकील जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने 23 जून से निकाली जाने वाली इस यात्रा की सशर्त इजाजत दे दी है। जीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की बेंच ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये इस मामले की सुनवाई के बाद 22 जून को इसकी इजाजत दे दी।

कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार मिलकर रथयात्रा निकालेगी तथा सुरक्षा के उपाय करेगी। आदेश सुनाते वक्त जीफ जस्टिस बोबडे का माइक बंद हो गया। बाद में उन्होंने कहा कि दोनों साथी न्यायाधीशों के आदेश की प्रति देख लेने के बाद संबंधित विस्तृत आदेश वेबसाइट पर अपलोड किया जायेगा। जस्टिस बोबडे ने सुनवाई के दौरान कहा कि राज्य सरकार सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा को खतरे में देखकर श्रद्धालुओं को रोकने के लिए स्वतंत्र है। उन्होंने कहा कि हम सरकार को यह नहीं कह रहे कि उसे क्या करना चाहिए, लेकिन हम कुछ शर्तों के साथ इसकी अनुमति दे रहे हैं।

जीफ जस्टिस ने शुरू में ही स्पष्ट कर दिया कि वह सिर्फ पुरी की रथयात्रा के लिए ही आदेश में संशोधन पर विचार कर रहे हैं, न कि पूरे राज्य में। ओडिशा सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि सेवायत रथ को खीचेंगे। ये सेवायत कोरोना निगेटिव हैं।
रथयात्रा के खिलाफ सबसे पहले शीर्ष अदालत पहुंचे एनजीओ गैर-सरकारी संगठन ओडिशा विकास परिषद की ओर से पेश वकील रंजीत कुमार ने कहा कि राज्य में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इसलिए रथयात्रा के लिए मामूली संख्या में लोग होने चाहिए।

इस पर चीफ जस्टिस बोबडे ने कहा कि हम यात्रा का सूक्ष्म स्तर पर प्रबंधन नहीं करेंगे। यह सरकार का काम है। वहीं सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि स्वास्थ्य एवं सुरक्षा को लेकर दिशानिर्देश जारी किये गये हैं और उनका अनुसरण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि रथयात्रा निकालने से सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा से समझौता नहीं किया जा सके। इसके बाद जस्टिस बोबडे ने सुरक्षा और सेहत के प्रबंधन के मसले पर साल्वे और मेहता को फोन पर बातचीत करने को कहा। बातचीत के बाद साल्वे ने खंडपीठ को बताया कि राज्य सरकार मंदिर प्रबंधन समिति और केंद्र सरकार के साथ सामंजस्य स्थापित करके यात्रा को अंजाम देगी।

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