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क्या मुगल बादशाह अबकर से हुई थी तुलसी दास की मुलकात? जानिये विद्वानों का मत

जनरल डेस्क

प्रखर प्रहरी

दिल्लीः क्या रामचरित्र मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसी दास की मुगल बादशाह अकबर से मुलाकात हुई थी। इस विषय पर विभिन्न साहित्यारों और इतिहासकारों के अलग-अलग मत हैं। साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित  प्रख्यात संस्कृत विद्वान एवं राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान के पूर्व कुलपति डॉ. राधा वल्लभ त्रिपाठी का कहना है कि तुलसीदास की जीवनियां उनके तीन समकालीनों ने  लिखी थी और उनमें से  दो ने तुलसीदास की उम्र 100 वर्ष से अधिक बताई थी। उन्होंने अकबर से तुलसी दास की मुलाकात का उल्लेख किया था, लेकिन उस समय के किसी इतिहासकार ने इसका कोई जिक्र नहीं किया है।

उन्होने कहा है कि भक्तमाल नाम से तुलसीदास  की जीवनी नाभादास ने लिखी थी। इसके अलावा कृष्णदत्त कवि ने  गौतम चंद्रिका नाम से और वेणीमाधव कवि ने ‘मूल गोसाई चरित नाम से तुलसी की जीवनी लिखी थी लेकिन अंतिम जीवनी की प्रामाणिकता  संदिग्ध मानी जाती है। ये तीनो जीवनीकार तुलसी दास के व्यक्तिगत घनिष्ठ सम्पर्क में थे । उन्होंने कहा  कि भक्तमाल में  तुलसी दास को अकबर से 10 साल बड़ा बताया गया है  लेकिन वेणीमाधव ने तुलसी दास  अकबर से 45 साल बड़ा बताया था।

71वर्षीय डॉ. त्रिपाठी ने यूट्यूब पर  तुलसीदास और अकबर विषय पर अपने व्याख्यान में यह बात कही है। उन्होंने कहा है कि अकबर से तुलसी दास की मुलाकात इतिहास की एक गुत्थी है, लेकिन कुछ ऐसे साहित्यिक साक्ष्य है जिनसे लगता है कि दोनों की मुलाकात हुई होगी। तुलसी अकबर और जहांगीर दोनों के समय में थे। अकबर ने तुलसी को मनसबदार बनाने का प्रस्ताव भेजा था जिसे तुलसी ने ठुकरा दिया था। जहांगीर ने भी तुलसी को धन सम्पति का उपहार दिया था जिसे तुलसी ने लेने से मना कर दिया था। उन्होंने कहा कि प्रख्यात उपन्यासकार अमृत लाल नागर ने तुलसी दास के जीवन पर आधारित उपन्यास ‘मानस का हंस’ में तीन और जीवनीकारों का जिक्र किया है जिनमें रघुवर दास, अविनाश राय एवं संत तुलसी  भी शामिल है।

मध्यप्रदेश के राजगढ़ में जन्मे एवं हरिसिंह गौड़ विश्विद्यालय में संस्कृत विभाग के डीन रह चुके डॉ त्रिपाठी ने कहा कि दो जीवनीकारों ने तुलसी दास से अकबर की मुलाकात का जिक्र किया है लेकिन उन्होंने अकबर की जगह दिल्ली का बादशाह का उल्लेख किया है। जाहिर है यह बादशाह अकबर ही रहे होंगे। तुलसी अपने समय मे करामाती व्यक्ति माने जाते थे और समाज में इस तरह की किवदंती थी कि वे मृत व्यक्ति को भी जीवित कर देते है। यह सुनकर दिल्ली के बादशाह ने उन्हें अपने दरबार मे बुलाया। नाभादास और वेणी कवि ने इसका जिक्र किया है और लिखा है कि दिल्ली के बादशाह ने तुलसी को अपनी करामात और चमत्कारी शक्ति दिखाने को कहा। दिल्ली के बादशाह ने तुलसी से राम के दर्शन कराने को कहा लेकिन जब तुलसी ने कहा कि वह कोई करामाती व्यक्ति नही हैं और यह सब वे नहीं कर सकते तो बादशाह ने उन्हें जेल में डाल दिया।
तुलसी दास जनता में इतने लोकप्रिय थे कि उनके जेल में डाले जाने की खबर मिलते ही लोग विद्रोह पर उतर आए और राजमहल पर धावा बोल दिया जिससे बादशाह को तुलसी दास को जेल से रिहा करना पड़ा लेकिन उस समय के किसी इतिहासकारों ने इस घटना का कोई उल्लेख नहीं किया है। इसलिए दोनों की मुलाकात का कोई ऐतिहासिक साक्ष्य मौजूद नहीं है, लेकिन अन्य साक्ष्यों से लगता है कि तुलसीदास की मुलाकात अकबर से हुई होगी।

डॉ. त्रिपाठी ने कहा है कि वह कोई दावा नहीं कर रहे हैं कि तुलसीदास की अकबर से मुलाकात हुई होगी लेकिन अकबर के दरबार के राजा टोडरमल और अब्दुल रहीम खानखाना तुलसीदास के बहुत ही निकट थे। उनका तुलसी से पारिवारिक सम्बंध था। राजा टोडरमल तो तुलसी के संरक्षक और अभिभावक के समान थे और जब पंडितों ने तुलसी पर जानलेवा हमला किया तो उन्होंने तुलसी की जान भी बचाई थी। इतना ही नहीं बनारस के अस्सी घाट पर अपने एक भवन को तुलसी को दे दिया था। जब टोडरमल का निधन हुआ तो उनके दोनों बेटे तुलसीदास से मिले थे और अपनी संपत्ति के विवाद को सुलझाने के लिए तुलसीदास से पंच बनाया था। अकबर अब्दुल रहीम ख़्सनखाना को पुत्र के समान मानते थे। वह संस्कृत, ब्रजभाषा के कवि भी थे। अकबर सभी धर्म के अनुयायियों संतो को बहुत मानते थे और अपने दरबार मे बुलाते थे। अकबर ने एक इबादत खाना भी बनवाया था जिसमे सभी धर्मों के लोगों से धर्म पर चर्चा करते थे।

अकबर ने राम और सीता का चांदी का सिक्का भी जारी किया था और बाल्मिकी रामायण का फारसी में अनुवाद कराया था। उसका चित्रात्मक ग्रंथ भी तैयार करवाया था। अकबर जब वाल्मिकी रामायण के इतने प्रशंसक थे तो जाहिर वे तुलसी से परिचित रहे होंगे। तुलसी ने भी अकबर की प्रशंसा में दोहे लिखे लेकिन उसमे दिल्ली का बादशाह लिखा अकबर नहीं। यह बादशाह और कोई नहीं खुद अकबर रहे होंगे। इसलिए इस बात की प्रबल संभावना है कि उनकी अकबर से मुलाकात हुई होगी।

General Desk

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