दिल्ली डेस्क

प्रखर प्रहरी

दिल्लीः कोरोना वायर दुनियाभर में कह रहे बरपा रहा है। इसके प्रसार की रफ्तार लगतार बढ़ रही है, लेकिन इस बीच इस संक्रमण को लेकर थोड़ी राहत भरी खबर सामने आई है। इस संक्रमण के फैलने का रफ्तार भले की कम नहीं हुआ हैं, लेकिन म्यूटेट यानी रूप बदलने की दर धीमी हो गई है। इसलिए अब इसकी अधिक बेहतर वैक्सीन तैयार की जा सकती है। दुनिया के कई विशेषज्ञों का कहना है कि यदि इस समय इसकी वैक्सीन तैयार हो गई तो इसका एक डोज कई सालों तक इंसानों को संक्रमण से बचाएगा।दुनियाभर में अब तक कोरोना के 24 स्ट्रेंट यानी रूप सामने आ चुके हैं। 

अमेरिका की जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने दुनियाभर से 20 हजार से अधिक कोरोना सैम्पलों को इकट्ठा करके उसका अध्ययन किया है और पाया है कि इस वायरस के सबसे बड़े हथियार समझे जाने वाले स्पाइक प्रोटीन में बदलाव नहीं हो रहा है। यूनिवर्सिटी के फिजिक्स लैब के मॉलिक्युलर बायोलॉजिस्ट डॉ. पीटर थीलेन के अनुसार 2019 के अंत से लेकर अब कोरोना वायरस में कुछ जेनेटिक बदलाव हुए हैं, लेकिन अब वह लगभग स्टेबल है। उन्होंने कहा कि यह समय वैक्सीन तैयार करने के लिए परफेक्ट है। इस समय कोरोना के आरएनए को बेहतर तरीके से समझा जा सकता है।  डॉ. पीटर का कहना है कि  अमेरिकी में कोरोना का जो स्ट्रेन पहचाना गया था, वह वुहान में संक्रमण फैलाने वाले वायरस से मिलता जुलता था। इस समय तैयार हुई वैक्सीन शुरुआती कोरोना वायरस और म्यूटेशन के बाद वाले कोरोना, दोनों पर असरदार साबित होगी।

वहीं बायोमेडिकल इंजीनियरिंग विशेषज्ञ डॉ. विंसटन टिम्प का कहना है कि बिना वैक्सीन के सामान्य जीवन में लौटना सम्भव नहीं है। वायरस के बदलने की धीमी गति का मतलब है, इस समय सफल वैक्सीन तैयार होने की सम्भावना ज्यादा है। डॉ. विंसटन के अनुसार  रिसर्च में सबसे ज्यादा फोकस कोरोना के उस स्पाइक प्रोटीन पर किया जा रहा है जो इंसानी कोशिकाओं में संक्रमण की वजह बनता है। यही सबसे अहम है। यदि वैक्सीन वायरस की इसी खूबी को ब्लॉक करने में कामयाब हो जाती है तो वह बेहद असरदार साबित होगी।

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