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सीमा विवाद दूर करने को लेकर भारत-चीन के सैन्य अधिकारियों के बीच क्या हुई बात?
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सीमा विवाद दूर करने को लेकर भारत-चीन के सैन्य अधिकारियों के बीच क्या हुई बात?

दिल्ली डेस्क

प्रखर प्रहरी

दिल्लीः पूर्वी लद्दाख में सीमा गतिरोध को दूर करने के लिए भारत और चीन के सैन्य कमांडरों के बीच 10 जून को एक बार फिर बैठक हुई। इस दौरान दोनों पक्षों के बीच ‘सकारात्मक’ बातचीत हुई। मेजर जनरल स्तर की यह बैठक साढ़े चार घंटे से ज्यादा चली। इस बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व 3 इंफेट्री डिविजन के कमांडर मेजर जनरल अभिजीत  बापट ने भारत का नेतृत्व किया। इस दौरान भारत ने ने यथास्थिति बहाल करने और गतिरोध वाले सभी स्थानों पर काफी संख्या में जमे चीन के सैनिकों को तुरंत हटाए जाने पर जोर दिया।

सूत्रों के अनुसार बातचीत में पेगांग झील के मुद्दे पर दोनों पक्षों के बीच किसी भी तरह की कोई प्रगति नहीं हो सकी है। हालांकि दोनों पक्षों के बीच इस बैठक के बाद ब्रिगेडियर और कर्नल स्तर के अधिकारियों के बीच भी बातचीत पर सहमति नहीं बनी। यह बातचीत कई चरणों में कदम दर कदम आगे बढेगी और जिसका उद्देश्य अंततः अप्रैल की यथास्थिति की ओर बढना है। भारत वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अप्रैल की यथा स्थिति कायम करने पर जोर दे रहा है। सेना से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि वार्ता सकारात्मक रही और दोनों पक्षों ने सकारात्मक माहौल में विचारों का आदान-प्रदान किया। सूत्र के अनुसार दोनों सेनाएं बातचीत से गतिरोध को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। दोनों सेनाओं ने गलवान घाटी ओर हॉट स्प्रिंग के कुछ इलाकों में सीमित संख्या में अपने सैनिकों को पीछे हटा लिया।      

कहां आमने-सामने खड़ी हैं भारत-चीन की सेनाः

पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग त्सो, दौलत बेग ओल्डी और डेमचोक जैसे कुछ इलाकों में अब भी भारत-चीन की सेना आमने-सामने हैं। सूत्रों के अनुसार दोनों सेनाएं गलवान घाटी के पेट्रोलिंग पॉइंट 14 और 15 तथा हॉट स्प्रिंग इलाके में ‘पीछे हटी’ हैं। इन इलाकों में चीन की सेना डेढ़ किलोमीटर तक पीछे चली गई है। आपको बता दें कि पैंगोंग त्सो में पांच मई को हिंसक संघर्ष के बाद भारत और चीन की सेनाएं आमने-सामने हैं। इस गतिरोध को समाप्त करने के लिए पहले गंभीर प्रयास के तहत लेह स्थित 14 कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और तिब्बत सैन्य जिले डिस्ट्रिक्ट के कमांडर मेजर जनरल लियू लिन के बीच छह  जून को विस्तृत बातचीत हुई थी।

छह जून की बातचीत में बनी सहमति पर काम कर रहा चीनः-


चीन ने 10 जून को कहा कि उसने छह जून को दोनों देशों के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के बीच बनी ‘सकारात्मक सहमति’ को लागू करना शुरू कर दिया है। दोनों पक्षों की सेना के पीछे हटने और अपने पहले की स्थिति में लौटने की खबर को लेकर किये गये सवाल के जवाब में चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने बीजिंग में कहा कि दोनों पक्ष सीमा पर स्थिति को सामान्य बनाने के लिए कदम उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि ‘सीमा पर स्थिति के बारे में हाल में भारत और चीन के बीच कूटनीतिक एवं सैन्य स्तर पर प्रभावी वार्ता हुई और सकारात्मक सहमति बनी। ‘दोनों पक्ष सीमा पर स्थिति को सामान्य बनाने के लिए इस सहमति के आधार पर कदम उठा रहे हैं।

क्या है विवादः-
मौजूदा गतिरोध के शुरू होने की वजह पैंगोंग त्सो झील के आसपास फिंगर क्षेत्र में भारत की तरफ से सड़क निर्माण करना है, जिस पर चीन को कड़ा एतराज है। इसके अलावा गलवान घाटी में दरबुक-शायोक-दौलत बेग ओल्डी मार्ग को जोड़ने वाली एक और सड़क के निर्माण पर चीन के विरोध को लेकर भी गतिरोध है।

नहीं रूकेगा निर्माण कार्यःभारत

पैंगोंग त्सो में फिंगर क्षेत्र में सड़क को भारतीय जवानों के गश्त करने के लिहाज से अहम माना जाता है। भारत ने पहले ही तय कर लिया है कि चीन के विरोध की वजह से वह पूर्वी लद्दाख में अपनी किसी सीमावर्ती आधारभूत परियोजना को नहीं रोकेगा। दोनों देशों के सैनिक बीते पांच और छह मई को पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग त्सो क्षेत्र में आपस में भिड़ गए थे। पांच मई की शाम को चीन और भारत के 250 सैनिकों के बीच हुई यह हिंसा अगले दिन भी जारी रही। इसके बाद नौ मई को उत्तर सिक्किम सेक्टर में भी इस तरह की घटना हुई थी। भारत-चीन सीमा विवाद 3,488 किलोमीटर लंबी एलएसी को लेकर है। चीन भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताता है। दोनों पक्ष सीमा मसले का अंतिम समाधान नहीं होने तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाये रखने की बात करते रहे हैं।

Shobha Ojha

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