संवाददाता

प्रखर प्रहरी

पटनाः आरजेडी के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने कहा है कि चीन के साथ तनातनी का मामला केन्द्र सरकार कमजोरी को  दर्शाता है। उन्होंने कहा कि पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ हुए सीमा विवाद पर सरकार को देश की जनता को सही जानकारी देनी चाहिए, ताकि संशय की स्थित समाप्त हो।

तिवारी ने 10 जून को कहा कि अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में किस देश की क्या हैसियत है यह जानने का एक सूत्र यह भी है कि उसका प्रतिद्वंदी देश कौन है। दुर्भाग्य से हमने हमेशा पाकिस्तान को ही अपना प्रतिद्वंदी माना है, जबकि तुलनात्मक दृष्टि से देखा जाए तो भारत के मुकाबले पाकिस्तान कहीं ठहरता नहीं है।  यह बात अलग है कि पाकिस्तान का निर्माण ही भारत के प्रति नफरत के भाव से हुआ है। इसलिए आए दिन पाकिस्तान का हमारे प्रति कुछ न कुछ गड़बड़ करने की मंशा रखता है।
उन्होने कहा कि  हमने कभी चीन को अपना प्रतिद्वंदी नहीं माना और कम से कम सार्वजनिक रूप से तो चीन की आलोचना करने से हमेशा हम बचते आए हैं। हकीकत यह है कि 1962 में चीन के साथ युद्ध में  हम न सिर्फ बुरी तरह पराजित हुए थे, बल्कि  हमारे जमीन का  बहुत बड़ा  हिस्सा अभी भी चीन के कब्जे में है। हमारी संसद का सर्व सम्मत संकल्प है कि हम अपनी एक-एक इंच जमीन चीन से मुक्त कराएंगे,  लेकिन देश की नई पीढ़ी को इस संकल्प के विषय में जानकारी भी नहीं होगी क्योंकि हमारे देश के नेता इस संकल्प का स्मरण कराने से हमेशा बचते रहे हैं।

तिवारी ने कहा कि आज की पीढ़ी के सामने तो चीन के राष्ट्रपति को हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का झूला झूलाने वाला दृश्य है, ऐसे में वह यह कल्पना भी कैसे कर सकता है कि हमारे बहुत बड़े भूभाग पर जिस देश ने कब्जा जमा रखा है उस देश के राष्ट्रपति को हमारा प्रधानमंत्री झूला झूला रहा है। अभी जिस इलाक़े में चीन की सेना ने प्रवेश किया वह अक्साई चीन से ही जुड़ा हुआ इलाक़ा है।  
उन्होंने कहा कि हमारे गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कश्मीर को  स्वायत्तता देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाने के प्रस्ताव को पास कराने के बाद संसद में अपने भाषण में कहा था कि इसके बाद पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और अक्साई चीन के इलाक़े को ख़ाली कराना हमारा लक्ष्य है।  इसके लिए मैं जान देने से भी पीछे नहीं हटूंगा।

आरजेडी नेता ने कहा कि यह जानकारी मिली है कि चीन लगभग चार से पांच किलोमीटर हमारी सीमा के अंदर प्रवेश कर गया था और अब  दोनों मुल्कों की सेनाएं वापस हो रही हैं। चीन पीछे हट रहा है यह बात तो समझ में आ रही है, क्योंकि उसकी फ़ौज हमारी सीमा के अंदर थी  लेकिन हमारी सेना के पीछे हटने का क्या मतलब है।  इस पूरे प्रकरण में देश अंधकार में है। इसलिए केन्द्र सरकार का यह दायित्व है कि देश की जनता को सही स्थिति की जानकारी दे, ताकि संशय स्थित  समाप्त हो।

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