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राष्ट्रीय

श्रमिकों को घर पहुंचाने के लिए राज्यों को 15 दिन का वक्त, रोजगार का भी करें इंतजाम

दिल्ली डेस्क

प्रखर प्रहरी

दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने पांच जून को प्रवासी श्रमिकों के पलायन के मुद्दे पर सुनवाई की। इस दौरान कोर्ट ने राज्य सरकरों से कहा कि हम आपको 15 दिन का समय देना चाहते हैं, ताकि आप देशभर में फंसे श्रमिकों को उनके पैतृक गांव तक पहुंचा सकें। कोर्ट इस मामले में अपना पैसला नौ जून यानी मंगलवार को अपना फैसला सुनाएगा। जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने इस संबंध में सभी संबद्ध पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया।

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हुई सुनवाई के दौरान केन्द्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को सूचित किया कि इन प्रवासी श्रमिकों को उनके पैतृक स्थान तक पहुंचाने के लिए तीन जून तक 4,270 ‘विशेष श्रमिक ट्रेन’ चलाई गयी हैं। अभी तक एक करोड़ से ज्यादा श्रमिकों को उनके गंतव्य तक पहुंचाया गया है और अधिकांश रेलगाड़ियां उत्तर प्रदेश और बिहार गई हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारें बता सकती हैं कि अभी और कितने प्रवासी श्रमिकों को को स्थानांतरित करने की आवश्यकता है। इसके लिए कितनी रेलगाड़ियों की जरूरत होगी? उन्होंने बताया कि राज्य सरकारों ने जो जानकारी उपलब्ध कराई हैं, उसके आधार पर चार्ट तैयार किया गया है। अभी 171 रेलगाड़ियों की और जरूरत है। कोर्ट ने मेहता द्वारा उलब्ध कराये गये चार्ट को देखते हुए सवाल किया कि क्या महाराष्ट्र सरकार ने एक ही ट्रेन की मांग की है? इस पर मेहता ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार के हिसाब से उसे एक ही रेलगाड़ी फिलहाल चाहिए। उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र से दूसरे राज्यों के लिए 802 रेलगाड़ियां चलाई जा चुकी है। उन्होंने कहा कि राज्यों से मांग आने पर 24 घंटे के अंदर सरकार ट्रेन उपलब्ध करा रही है।

इस बीच विभिन्न राज्यों के वकीलों ने खंडपीठ के समक्ष लेखाजोखा रखा। महाराष्ट्र सरकार ने बताया कि 11 लाख मज़दूरों को वापस भेजा जा चुका है, 38 हजार को भेजा जाना बाकी है। गुजरात सरकार ने कहा कि 22 लाख में से 20.5 लाख प्रवासी मजदूरों को वापस भेजा जा चुका है।
दिल्ली सरकार ने कहा कि दो लाख लोग ऐसे हैं जो यहीं रहना चाहते हैं। सिर्फ 10 हज़ार अपने राज्य लौटने की इच्छा जता रहे हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि वह लोगों से किराया नहीं ले रही। कुल 104 ट्रेन चलाई गई और एक लाख 35 हजार लोगों को अलग-अलग साधन से वापस भेजा गया। वकील ने कहा कि 1664 श्रमिक ट्रेन से 21 लाख 69 हज़ार लोगों को उत्तर प्रदेश वापस लाया गया। दिल्ली सीमा से बस के ज़रिये साढ़े पांच लाख लोगों को वापस लाया गया।

बिहार सरकार की ओर से पेश रंजीत कुमार ने कहा कि  28 लाख लोग वापस आ चुके हैं। सरकार उन्हें रोज़गार देना चाहती है और इसके लिए 10 लाख लोगों की स्किल मैपिंग की गई है। राजस्थान सरकार  ने कहा कि राजस्थान सरकार ने अब तक सात करोड़ रुपये के आसपास खर्च किया है।
पश्चिम बंगाल सरकार ने कहा कि राज्य में तीन लाख 97 हजार 389 प्रवासी मजदूर अभी मौजूद हैं। इस पर केन्द्र ने कहा कि  पश्चिम बंगाल को सिर्फ प्रवासी मजदूरों की जानकारी है जो बंगाल में मौजूद हैं। बंगाल सरकार को इस बारे में जानकारी नहीं है कितने मजदूर दूसरे राज्यों में फंसे हैं, जो अपने गृह राज्य आना चाहते हैं। केरल सरकार के वकील ने कहा कि राज्य में चार लाख 34 हज़ार प्रवासी मजदूर हैं, अब तक एक लाख  मजदूरों को वापस भेजा जा चुका है। ढाई लाख मजदूर वापस जाना चाहते हैं जबकि करीब डेढ लाख मजदूर केरल में ही रहना चाहते हैं। कर्नाटक सरकार के वकील ने विस्तृत हलफनामा दाखिल करने के लिए 15 दिन का समय मांगा।

Shobha Ojha

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