प्रखर प्रहरी डेस्क

दिल्लीः भारती रेलवे ने 29 मई को लोगों से एक अजीब सी अपील की। पहले रेलवे ने कहा कि पहले से बीमार लोग, गर्भवती महिलाएं, 10 साल से कम उम्र के बच्चे तथा बुजुर्ग श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से यात्रा करने से गुरेज करे। इसके थोड़ी देर बाद रेल मंत्री पीयूष गोयल ने भी यही अपील थोड़ी सुधार के साथ की। 

गोयल ने ट्वीट कर रेलवे की बात दो दोहराई। हालांकि उन्होंने रेलवे की बात में थोड़ी सुधार करते हुए कहा कि ‘आवश्यक होने पर ही यात्रा करें।’ लेकिन अब सवाल यह पैदा होता है कि इन श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में सफर कौन कर रहा है?  जब सबसे मजबूर लोग इन ट्रेनों में यात्रा कर रहे हैं, तो क्या ये लोग परिवार को छोड़कर निकल पड़ें?  रेलवे और गोयल की यह अपील उस  सामने आई है, जब घर लौटते मजदूरों और उनके बच्चों की मौत का सिलसिला बदस्तूर जारी है। श्रमिक लॉकडाउन की वजह से दो महीनों से दूसरे राज्यों में फंसे हैं। वे अपने घर के बुजुर्गों, बच्चों और गर्भवती महिलाओं को पीछे अकेला छोड़कर सफर कैसे कर सकते हैं?  प्रवासी श्रमिकों के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की शुरुआत एक मई से शुरू हुई हैं। सरकार ने इस मुद्दे पर 28 मई को सुप्रीम कोर्ट में दावा किया कि हमने 29 दिन में 91 लाख लोगों को उनके गंतव्य तक पहुंचा है, लेकिन मुंबई और दिल्ली जैसे महानगरों के के रेलवे स्टेशनों और बस अड्डों से प्रति दिन आ रही तस्वीरें कुए और ही बयां कर रही है। ये तस्वीरें बता रही है कि प्रवासी श्रमिक काफी तादात में अभी भी घर वापसी का इंतजार कर रहे हैं।

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