दिल्ली डेस्क
दिल्लीः वैश्विक महामारी कोरोना के मद्देनजर लागू लॉकडाउन के चलते प्रवासी श्रमिकों को हो रही मुश्किलों पर सुप्रीम कोर्ट सुनवई कर रहा है। इस दौरान केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अब तक 91 लाख प्रवासी श्रमिकों को उनके गंतव्य तक पहुंचाया जा चुका है। इनमें से 80 फीसदी प्रवासी उत्तर प्रदेश और बिहार के हैं।
इस पर कोर्ट ने कहा कि क्या उन्हें भरपेट भोजन भी कराया। कोर्ट ने कहा कि प्रवासी श्रमिकों के लिए सरकार की ओर से किये गये प्रयास नाकाफी है। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 26 मई को स्वत: संज्ञान लिया था। कोर्ट ने कहा था कि प्रवासी श्रमिकों की हालत खराब है। उनके लिए सरकार ने जो इंतजाम किए हैं वे नाकाफी हैं। कोर्ट ने इस मामले में केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। कोर्ट ने कहा था कि सरकारों को तुरंत प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है। प्रवासी श्रमिकों को उनके घर तक पहुंचाने के लिए यात्रा, ठहरने और खाने की व्यवस्था तुरंत होनी चाहिए। जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने मीडिया रिपोर्ट्स और श्रमिकों की बदहाली पर मिल रही चिट्ठियों के आधार पर संज्ञान लिया था।