सुप्रीम कोर्ट ने देश के विभिन्न हिस्सों में प्रवासी श्रमिकों आ रही परेशानियों पर स्वत: संज्ञान लिया है। कोर्ट ने 26 मई को कहा कि इस मामले में राज्य सरकारों और केंद्र सरकार से गलतियां हुई हैं। अब केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर प्रवासी श्रमिकों की यात्रा, उनके ठहरने के स्थान और भोजन की व्यवस्था के लिए कदम उठाएं।
जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमआर शाह ने केन्द्र, राज्य और केन्द्र शासित प्रदेशों को नोटिस भेजकर 28 मई तक जवाब मांगा है। कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से यह बताने को कहा है कि प्रवासी श्रमिकों की स्थिति में सुधार के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। इस मामले में अगली सुनवाई 28 मई को होगी। कोर्ट ने सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता से इस मुद्दे पर मदद करने को कहा है।
आपको बता दें वैश्विक महामारी कोरोना के मद्देनजर लागू देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान कई राज्यों में फंसे हुए श्रमिकों की स्थिति दयनीय हो गई है। सैकड़ों प्रवासी श्रमिक ने मुंबई और दिल्ली जैसे महानगरों से हजार किलोमीटर से ज्यादा की दूरी पैदल ही तय की। इस दौरान कई श्रमिक बस और ट्रेन हादसों का शिकार भी हुए है। मीडिया में खबरें दिखाये जाने के बाद हालांकि सरकार की तरफ से प्रवासी श्रमिकों के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई गई।