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फेल हुआ लॉकडाउन का मकसद, पीएम बतायें क्या है आगे की रणनीतिः राहुल
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फेल हुआ लॉकडाउन का मकसद, पीएम बतायें क्या है आगे की रणनीतिः राहुल

संवाददाता

दिल्लीः कांग्रेस पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि भारत दुनिया का अकेला ऐसा देश है, जहां कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से बढ़ने के बावजूद लॉकडाउन हटाया जा रहा है। लॉकडाउन का मकसद फेल हो चुका है। देश इसके नतीजे भुगत रहा है। उन्होंने कहा कि चार चरणओं के लॉकडाउन विफल होने के बाद भी वैसे नतीजे नहीं आए, जिसकी उम्मीद प्रधानमंत्री कर रहे थे।

राहुल ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये 26 मई को संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि पीएम ने लॉकडाउन की घोषणा करते समय देश से 21 दिन का समय मांगा था लेकिन अब दो महीने होने जा रहे हैं। महामारी घटने की बजाय तेजी से बढ़ रही है। इससे यह साबित होता है कि भारत में लॉकडाउन असफल रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री पहले फ्रंट फुट पर खेल रहे थे, लेकिन लॉकडाउन फेल हुआ तो बैकफुट पर चले गए। उन्हें फिर से फ्रंट फुट पर आना चाहिए। उन्होंने कहा कि पीएम और उनके प्रमुख सलाहकारों ने कहा था कि मई के आखिर तक कोरोना वायरस का असर घटने लगेगा, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा। अब सरकार बताए कि आगे क्या प्लान है? लॉकडाउन खोलने की स्ट्रैटजी में प्रवासियों और राज्यों की मदद के क्या इंतजाम हैं? उन्होंंने कहा कि सरकार को इस महामारी से निपटने के लिए आक्रामक तरीके से काम करना चाहिए था, लेकिन दो माह के दौरान कहीं सरकार के काम में यह आक्रामकता नजर नहीं आई। उल्टे लॉकडाउन ऐसे समय में उठाया जा रहा है जब यह बीमारी बहुत तेजी से फैल रही है। उन्होंने कहा कि जर्मनी, फ्रांस जैसे कई देशों ने सावधानी से कदम उठाए और इस महामारी को मात देने का काम किया है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि कोरोना ने देश की अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया है। उन्होंने यह चेतावनी मार्च से पहले ही दे दी थी, लेकिन सरकार ने उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि उनका सरकार से अब भी आग्रह है कि वह देश की अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए ठोस कदम उठाए। सरकार का 20 लाख करोड़ का आर्थिक पैकेज अर्थव्यवस्था में जान फूंकने वाला नहीं है। चीन सीमा पर तनाव को लेकर पूछे गये सवाल पर उन्होंने कहा कि सीमा विवाद मुद्दे पर सरकार को देश को साफगोई से बताना चाहिए। नेपाल तथा चीन के साथ सीमा पर जो कुछ हो रहा है उसको लेकर स्पष्टता और पारदर्शिता आवश्यक है। देश की जनता काे यह मालूम होना चाहिए कि सीमा पर हालात कैसे हैं। वास्तविकता क्या है। असलियत क्या है। उनका कहना था कि पारदर्शिता के बाद ही इस पर ज्यादा बेहतर तरीके से अपनी बात कही जा सकती है।

Shobha Ojha

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