संवाददाता

दिल्लीः केंद्रीय पशु पालन, डेयर एवं मत्स्य पालन मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि सरकार उत्तर भारत को मत्स्य निर्यात का हब बनाएगी। इसके लिए आधारभूत सुविधाओं का विकास किया जाएगा। नए तालाब बनाए जायेंगे।  
केंद्रीय मंत्री ने 26 मई को यहां संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि पंजाब , हरियाणा, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के पानी मे नमक है और इन क्षेत्रों में निर्यात करने वाली मछली के पालन को बढ़ावा दिया जाएगा। इन क्षेत्रों में लगभाग 2.25 लाख हेक्टेयर में खरा पानी है। इन क्षेत्रों में सिबास , तेलपिया ,फेंगासियस जैसी मछलियों के पालन को बढ़ावा दिया जाएगा।उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के तहत मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए 20 हजार करोड़ रुपए निवेश की योजना बनाई गई है। इसके तहत 11 हजार करोड़ रुपए मत्स्य उत्पादन पर और नौ हजार करोड़ रुपए आधारभूत सुविधाओं के विकास पर खर्च किये जाएंगे। सरकार इसे बढ़ा कर 50 हजार करोड़ रुपए करने का प्रयास करेगी। विश्व बैंक 13.5 हजार करोड़ रुपए देगा जिसे बढ़ा कर 25 से 30 हजार करोड़ करने का प्रयास किया जाएगा । उन्होंने बताया कि वर्ष 2015 में नीली क्रांति योजना की शुरुआत की गई थी। अब इस अर्थ क्रांति की ओर ले जाया जा रहा है। इससे रोजगार और निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि वर्ष 2010 से 2014 के दौरान सालाना मत्स्य उत्पादन चार से पांच प्रतिशत था जो अब बढ़ कर 7.53 प्रतिशत हो गया है। देश में 22 लाख हेक्टेयर में तालाब , 31 लाख हेक्टेयर में जलाशय , आठ हजार किलोमीटर में समुद्री किनारा तथा 12 लाख हेक्टेयर में ब्रेकिस पानी है जहां मत्स्य पालन को और बढ़ावा दिया जा सकता है ।  उन्होंने कहा कि मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए आधुनिक प्रोद्योगिकी का सहारा लिया जाएगा। जलाशय और समुद्र में पिंजरे में मत्स्य पालन को बढ़ावा दिया जाएगा। एक हेक्टेयर जलाशय में 200 पिंजरे में मत्स्य पालन किया जा सकता है।

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