Subscribe for notification
खेल

नहीं रहे लीजेंड हॉकी प्लेयर बलबीर, 82 साल के उम्र में मोहाली में हुआ निधन

लीजेंड हॉकी प्लेयर एवं तीन बार के ओसंपिक स्वर्ण विजेता बलबीर सिंह सीनियर लंबी बीमारी के बाद 25 मई की सुबह पंजाब के मोहाली में निधन हो गया। वह 96 साल के थे। बलबीर के निधन से खेल जगत में शोक की लहर दौड़ गई है।  
बलबीर 12 मई को दिल का दौरा पड़ने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अस्पताल में उपचार के दौरान भी उन्हें दो बार दिल का दौरा पड़ा और उनकी तबीयत बिगड़ती चली गई।
 बलबीर के पौत्र कबीर ने बताया कि उनके दादा बलबीर का आज सुबह लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। उनके परिवार में बेटी सुशबीर और तीन बेटे कंवलबीर, करणबीर और गुरबीर हैं।  बलबीर का जन्म 31 दिसम्बर 1923 को पंजाब के हरिपुर खालसा गांव में हुआ था। भारत को लगातार तीन ओलम्पिक स्वर्ण दिलाने वाले बलबीर को पिछले कुछ वर्षों में भारत रत्न देने की मांग की जाती रही थी। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर बलबीर को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग की थी।

बलबीर ने 1948 लंदन, 1952 हेलसिंकी और 1956 मेलबोर्न ओलम्पिक में भारत को स्वर्ण पदक दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। मेलबोर्न में उनके नेतृत्व में ही टीम ने स्वर्ण पदक हासिल किया था। इसके अलावा वह 1958 टोक्यो एशियाई खेलों में रजत पदक विजेता टीम के भी हिस्सा रहे थे।
सेंटर फॉरवर्ड प्लेयर बलबीर ने 61 अंतरराष्ट्रीय मैचों में 246 गोल किए थे। हेलसिंकी ओलंपिक में हॉलैंड के खिलाफ फाइनल में 6-1 से मिली जीत में उन्होंने पांच गोल किये थे और यह रिकॉर्ड आज तक बरकरार है। वह 1975 विश्व कप विजेता भारतीय हॉकी टीम के मैनेजर भी रहे थे। देश के महानतम एथलीटों में से एक बलबीर सीनियर आईओसी यानी अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति द्वारा चुने गए आधुनिक ओलंपिक इतिहास के 16 महानतम ओलंपियनों में शामिल थे। बलबीर पहले ऐसे खिलाड़ी थे, जिन्हें चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री से नवाजा गया था। उन्हें यह सम्मान 1957 में दिया गया था। डोमिनिक गणराज्य ने 1956 मेलबोर्न ओलम्पिक की याद में डाक टिकट जारी किया था जिसमें बलबीर और गुरदेव सिंह  को जगह मिली थी। बलबीर ने दिल्ली में हुए 1982 के एशियाई खेलों में एशियाड ज्योति प्रज्ज्वलित की थी। उन्हें वर्ष 2006 में सर्वश्रेष्ठ सिख खिलाड़ी चुना गया था। हालांकि उन्होंने खुद को प्रखर राष्ट्रवादी बताते हुए पहले यह अवार्ड लेने से इंकार किया था कि वह धर्म आधारित अवार्ड लेने में विश्वास नहीं रखते हैं लेकिन भारतीय हॉकी के हित को ध्यान में रखते हुए बाद में इसे स्वीकार कर लिया था।  2015 में बलबीर को उनकी शानदार उपलब्धियों के लिए मेजर ध्यानचंद लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड प्रदान किया गया था।  वह आजाद भारत के सबसे बड़े हॉकी सितारों में से एक थे और उनकी तुलना हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद से की जाती थी। हालांकि दोनों कभी साथ नहीं खेले थे।         

Shobha Ojha

Recent Posts

विरासत, लोक कला- आधुनिकता को समेटे विश्वस्तरीय बन रहा है जयपुर का गांधीनगर स्टेशन, यात्री जल्द ही करेंगे वैश्विक सुविधाओं की अनुभूति

संवाददाताः संतोष कुमार दुबे जयपुरः गुलाबी नगरी के नाम से मशहूर राजस्थान की राजधानी जयपुर के गांधीनगर स्टेशन का कायाकल्प…

2 hours ago

पानी पारस के समान, जहां भी स्पर्श करे नई ऊर्जा और शक्ति को जन्म देता हैः मोदी

जयपुरः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को पानी का सामर्थ और महत्व बताया। साथ ही उन्होंने इसकी तुलना पारस से…

1 day ago

सुगम, तीव्र और पर्यावरण अनुकूल यातायात को मिलेगा बढ़ावा, मोदी ने लॉन्च की पश्चिमोत्तर रेलवे की चार परियोजनाएं

  जयपुरः यात्रियों को सुगम, तीव्र और पर्यावरण अनुकूल यातायात की सुविधा मुहैया कराने की दिशा में पश्चिमत्तर रेलवे तेजी…

1 day ago

खुली जीप में अभिवाद, राजस्थानी पगड़ी और बोली से मोदी ने लोगों को रिझाया

संवाददाताः संतोष कुमाार दुबे जयपुरः हमेशा की तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को लोगों को अचम्भित कर दिया। पीएम…

2 days ago

चला गया तबले का एक नाद, 73 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह गए उस्ताद जाकिर हुसैन

दिल्लीः विश्व विख्यात तबलावादक उस्ताद जाकिर हुसैन 73 वर्ष की उम्र में दुनिया को अलविदा कह कर चले गए। जम्मू-कश्मीर…

3 days ago

नहीं रहे उस्ताद जाकिर हुसैन, 73 साल की उम्र में सैन फ्रांसिस्को में ली अंतिम सांस

दिल्लीः विश्वविख्यात तबला वादक एवं पद्म विभूषण उस्ताद जाकिर हुसैन अब हमारे बीच नहीं रहे। 73 साल की उम्र में…

3 days ago