Deprecated: The PSR-0 `Requests_...` class names in the Requests library are deprecated. Switch to the PSR-4 `WpOrg\Requests\...` class names at your earliest convenience. in /home1/prakhndx/public_html/wp-includes/class-requests.php on line 24
सरकार की अदूरदर्शी नीतियों के कारण हुआ प्रवासी श्रमिकों का पलायनःझा
Subscribe for notification

सरकार की अदूरदर्शी नीतियों के कारण हुआ प्रवासी श्रमिकों का पलायनःझा

संवाददाता

दिल्लीः आरजेडी वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सांसद मनोज कुमार झा ने कहा है कि सरकार की अदूरदर्शी नीतियों के कारण  प्रवासी श्रमिकों का पलायन हुआ। उन्होंने कहा कि पलायन करने वाले श्रमिकों में लगभग 90 प्रतिशत लोग  पिछड़ी जातियों के हैं।
मनोज ने ‘राजपाल एंड सन्स’ द्वारा ‘कोरोना पलायन और जाति’ विषय पर आयोजित व्याख्यान में कहा कि इस पलायन को देखते हुए हमें अपने देश के विकास के मॉडल में प्रवासी श्रमिकों की भूमिका पर एक बार फिर से विचार करना होगा। उन्हें इस विकास में उनकी हिस्सेदारी देनी होगी।  दिल्ली विश्वविद्यालय में सोशल वर्क के प्रोफेसर रहे झा ने कहा कि  वैश्विक महामारी कोरोना के मद्देनजर जब लॉकडाउन की घोषणा हुई तो  प्रधानमंत्री नरेंद्र  मोदी ही नहीं बल्कि हम सब भी इस बात को समझ नहीं पाए थे कि कोरोना महामारी के कारण इतनी बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक पलायन कर जाएंगे। उन्होंने कहा कि पहले यह श्रमिक अपनी आजीविका  के लिए पलायन कर विभिन्न राज्यों में गए थे, लेकिन अब कोरोना वायरस के भय के कारण वह पलायन कर अपने गांव की ओर लौट रहे हैं क्योंकि वह जहां काम कर रहे थे, वहां उनके लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गयी।
आरजेडी सांसद ने कहा कि  इन प्रवासी श्रमिकों ने देश में भवन निर्माण से लेकर सड़क निर्माण और अन्य कई तरह के निर्माण कार्यों तथा कारखानों में योगदान दिया। इसके बावजूद उन्हें इस विकास में उनकी हिस्सेदारी नहीं मिली।उन्होंने कहा कि वैसे इस दौरान कुछ ऊंची जातियों का भी पलायन हुआ है लेकिन ऊंची जातियों के पलायन और पिछड़ी तथा आदिवासी एवं जनजाति के पलायन में फर्क है । उन्होंने कहा की सरकार ने ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ शब्द  का गलत इस्तेमाल किया है। इसने इस सामाजिक रिश्ते  को भी प्रभावित किया। उन्होंने कहा  कि संसद में हमने मार्च में ही इस बात का विरोध किया था कि सोशल डिस्टेंसिंग शब्द का इस्तेमाल न किया जाए क्योंकि इसमें जातिगत आधार पर दूरी बनाए जाने का भी भाव छिपा हुआ है। हमने इसकी जगह ‘सामाजिक एका  और शारीरिक दूरी’ शब्द का इस्तेमाल करने की सलाह दी थी। उन्होंने कहा कि हमारा समाज जातियों पर आधारित समाज रहा है और आज तक हम इस जाति व्यवस्था को तोड़ नहीं पाए हैं।

Shobha Ojha

Recent Posts

खालिस्तानी पन्नू की हत्या की साजिश का आरोपी विकास ने बताया जान को खतरा, अदालत से लगाई पेशी से छूट देने की गुजारिश

दिल्लीः खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश में आरोपी विकास यादव ने अपनी जान को खतरा बताया…

1 day ago

शोध पर लालफीताशाही भारी, आजकल सारा उद्देश्य पेट भरने का, चार प्रतिशत जनसंख्या वालों को 80 प्रतिशत संसाधन चाहिएः डॉ. भागवत

संवाददाताः संतोष कुमार दुबे गुरुग्रामः राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा है कि  आज कर…

3 days ago

PoK में नहीं होगा चैंपियंस ट्रॉफी का टूर, ICC ने पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को मना किया

स्पोर्ट्स डेस्क8 ICC यानी इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल ने पीओके यानी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में चैंपियंस ट्रॉफी का टूर…

3 days ago

अब छात्र दो साल में ही पूरा कर सकेंगे ग्रेजुएशन, UGC अगले साल तक ला सकता है नई पॉलिसी; कमजोर विद्यार्थी 05 साल तक बढ़ा सकेंगे कोर्स ड्यूरेशन

दिल्लीः अब विद्यार्थी दो साल में ही ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल कर सकेंगे। UGC यानी यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन अगले अकादमिक…

4 days ago

अहिल्याबाई होलकर ने नष्ट हो चुके राष्ट्र के सम्मान एवं गौरव को स्थापित करने का काम कियाः कृष्ण गोपाल

संवाददाताः संतोष कुमार दुबे दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल ने गुरुवार को कहा है कि पुण्यश्लोक…

4 days ago