बिजनेस डेस्क

दिल्लीः एमएसएमआई यानी सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उद्योगों की अब परिभाषा बदल गई है। सरकार ने एमएसएमई में अब 20 करोड़ रुपये तक का निवेश और 100 करोड़ रुपये तक का कारोबार करने वाली कंपनियों को इसके दायरे में लाने का फैसला किया है। सरकार के इस फैसला से कंपनियों को एमएसएमई के लिए दी जाने वाली छूटों का लाभ उठा कर कारोबार का दायरा बढ़ाने में मदद मिलेगी।
केद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने 12 मई को यहां इसकी घोषणा की। सीतारमण ने कहा कि अब एमएसएमई की परिभाषा में निवेश के साथ ही कारोबार का अतिरिक्त मानदंड शामिल किया गया है। अब विनिर्माण और सेवा क्षेत्र के लिए एक ही मानदंड होगा। पहले दोनों के लिए अलग-अलग मानदंड थे। पीएम मोदी की ओर से 12 मई को राष्ट्र के नाम संबोधन के दौरान घोषित ‘आत्मनिर्भर भारत पैकेज’ के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि अब एक करोड़ रुपये से कम निवेश और पांच करोड़ रुपये से कम का कारोबार करने वाले उद्योग सूक्ष्म उद्योग की श्रेणी में आयेंगे। पहले यह सीमा विनिर्माण क्षेत्र के लिए 25 लाख रुपये और सेवा क्षेत्र के लिए 10 लाख रुपये थी। उन्होंने बताया कि अब 10 करोड़ रुपये से कम निवेश और 50 करोड़ रुपये से कम का कारोबार करने वाली कंपनियाँ लघु उद्यम की श्रेणी में आयेंगी। अभी विनिर्माण क्षेत्र के लिए यह सीमा पाँच करोड़ रुपये और सेवा क्षेत्र के लिए दो करोड़ रुपये निवेश की थी। इसी प्रकार 20 करोड़ रुपये से कम निवेश और 100 करोड़ रुपये से कम कारोबार करने वाली कंपनियाँ मध्यम उद्योगों की श्रेणी में आयेंगी। पहले विनिर्माण क्षेत्र में 10 करोड़ रुपये और सेवा क्षेत्र में पाँच करोड़ रुपये तक निवेश वाली कंपनियों को इस श्रेणी में रखा गया था।  

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