संवाददाताः नरेन्द्र कुमार वर्मा
दिल्लीः कोरोना संकट के चलते रोज कमाने खाने वालों को सबसे ज्यादा मुशीबतों का सामना करना पड़ा रहा है। ऐसे लोगों के लिए सरकार की तरफ से भी कोई पुनर्वास योजना या राहत की घोषणा नहीं की गई है। दिल्ली में रजक समाज (घोबी) के हजारों ऐसे परिवार है जो गली मोहल्लों में प्रेस करके अपने परिवार की गुजर बसर करते हैं। मगर लॉकडाउन के बाद इन परिवारों के सामने खाने-पीने का संकट खड़ा हो गया है। ऐसे अधिकांश परिवार दिल्ली की पुनर्वास बस्तियों में छोटे-छोटे घरों में रहते है।
इन परिवारों के समक्ष खाने पीने के संकट की खबर के बाद अखिल भारतीय रजक समाज की संरक्षक डॉ. चंद्रकांता माथुर ने बड़ी पहल की है। डॉ. माथुर ने पूर्वी दिल्ली के खिचड़ीपुर बस्ती में जाकर रजक समाज के परिवारों के बीच राशन और जरूरी वस्तुओं का वितरण किया। इस दौरान उन्होंने परिवारों के छोटे बच्चों और बालिकाओं को घर पर ही अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए पाठ्य पुस्तकों और अध्ययन सामग्रियों का भी वितरण किया गया। डॉक्टर माथुर ने बताया कि संत गाडगे धोबी महासभा के अध्यक्ष राजविलास कन्नौजिया ने उन्हें जानकारी दी कि दिल्ली में रजक समुदाय के अधिकांश परिवार लॉकडाउन के बाद बेहद संकट में गुजर बसर कर रहे है। इस जानकारी के बाद उन्होंने समाज सेवियों से संपर्क किया और उनकी मदद के साथ अपने स्तर से पीड़ित परिवारों के लिए राशन और जरूरी वस्तुओं को पहुंचाने का काम किया। डॉ. माथुर ने बताया कि रजक समाज को सामाजिक कुरितियों से निकाल कर देश की मुख्यधारा में शामिल कराने की मुहिम वह पिछले कई वर्षों से चला रही हैं और रजक समुदाय के लोगों के बीच शिक्षा के प्रति जागरुरता का अभियान भी चलाया जा रहा है। पूर्वी दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले परिवारों के बीच राहत सामग्री की वितरण करने के बाद उन्होंने कहा कि कोरोना के प्रति जागरुक रहे और सभी सरकारी आदेशों का पालन कर एक अच्छे नागरिक के कत्तर्व्यों को निभाएं।