दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू- कश्मीर में 4जी इंटरनेट सेवा बहाल करने के मामले केंद्रीय गृह सचिव के नेतृत्व में तत्काल उच्चाधिकार समिति गठित करने का आदेश दिया है, जो जिलावार स्थिति का आकलन कर फैसला लेगी।
जस्टिस एनवी रमन, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने 11 मई को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये आदेश सुनाते हुए कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा और मानवाधिकारों के बीच संतुलन कायम करने की जरूरत है। पीठ ने कहा कि समिति जम्मू कश्मीर में हालात के साथ-साथ मौजूदा समय मे कोरोना महामारी के समय इंटरनेट की जरूरतों और इसके न होने से जनजीवन को होने वाली कठिनाइयों पर भी गौर करे। कोर्ट ने केंद्रीय गृह सचिव की अगुवाई में उच्चाधिकार समिति गठित करने और उस समिति में संचार सचिव और जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव को शामिल करने का निर्देश दिया। फाउंडेशन फॉर मीडिया प्रोफेशनल्स, शोएब कुरैशी और जम्मू कश्मीर प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन ने राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के मद्देनजर राज्य में 4जी इंटरनेट सेवा बहाल करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील हुफेजा अहमदी ने दलील दी थी कि मौजूदा 2जी सेवा के चलते बच्चों की पढ़ाई, कारोबार में दिक्कत आ रही है। इतना ही नहीं, कोरोना महामारी के बीच राज्य में लोग वीडियोकॉल के जरिये डॉक्टरों से ज़रूरी सलाह नहीं ले पा रहे हैं। उन्होंने कहा था कि इंटरनेट के जरिये डॉक्टरों तक पहुंचने का अधिकार, जीने के अधिकार के तहत आता है। कोरोना काल में लोगों को डॉक्टरों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सलाह लेने से रोकना उन्हें संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 के तहत मिले मौलिक अधिकार से वंचित करना है। वहीं सरकार की ओर से पेश एटर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने दलील दी थी कि जम्मू- कश्मीर में इंटरनेट स्पीड पर नियंत्रण आंतरिक सुरक्षा के लिए ज़रूरी है। उन्होंने कहा था कि राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरी है और यह फैसला सरकार पर छोड़ देना चाहिए। देश की सम्प्रभुता से जुड़े ऐसे मसलों पर सार्वजनिक तौर पर या कोर्ट में बहस नहीं की जा सकती। अदालत को इस मसले में दखल नहीं देना चाहिए। इस मामले में याचिकाकर्ता जम्मू- कश्मीर प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद भी पेश हुए थे।

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