कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा है कि वैश्विक महामारी कोरोना के खिलाफ लड़ाई को डी-सेंट्रलाइज करने की जरूरत है। यदि  सारे फैसले प्रधानमंत्री कार्यालय से ही होते रहे तो संकट खड़ा हो जाएगा। उन्होंने ये बात आठ मई को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पत्रकारों को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि यह समय निंदा करने का नहीं है। हमें लॉकडाउन खोलने की स्ट्रैटजी बनानी चाहिए। लॉकडाउन कोई ऑन-ऑफ स्विच नहीं, बल्कि एक ट्रांजिशन है। इसके लिए केंद्र, राज्य और जनता का एक-दूसरे को सहयोग करना जरूरी है।

राहुल ने कहा कि आप किसी भी बिजनेसमैन से पूछेंगे तो वह यही कहेगा कि इकोनॉमिक सप्लाई चेन और कोरोना के जोन बांटने के तरीके में तालमेल नहीं बैठ रहा। संक्रमण की स्थिति के आधार पर रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन राष्ट्रीय स्तर पर तय किए जा रहे हैं। यह काम राज्य स्तर पर जिला प्रशासन को साथ लेकर होना चाहिए। हमारे मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि केंद्र के हिसाब से कई इलाके जो कि रेड जोन में बताए जा रहे हैं वे असल में ग्रीन जोन में हैं।

राहुल ने कहा कि कांग्रेस की न्याय योजना के आइडिया पर सरकार को देश के 50% परिवारों के खातों में सीधे पैसे ट्रांसफर करने चाहिए। हमें रोजगार देने वालों का भी ध्यान रखना पड़ेगा। उनके लिए ऐसा माहौल बनाना होगा जिससे नौकरियां बच सकें और लोगों को वेतन मिल सके। उन्हें आर्थिक मदद दी जानी चाहिए। देश की अर्थव्यवस्था को जल्द से जल्द शुरू करने की जरूरत है। हम जितनी देर करेंगे उतना ही ज्यादा नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने दो दिन पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से चर्चा की थी और इस दौरान उन्होंने कहा था कि दिल्ली में बैठे लोग हकीकत जाने बिना कोरोना के जोन तय कर रहे हैं। सोनिया ने भी लॉकडाउन पर केंद्र सरकार की स्ट्रैटजी पर सवाल उठाए थे। उन्होंने सवाल किया था कि सरकार किस आधार पर तय कर रही है कि लॉकडाउन कितने दिन रहना चाहिए?

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