आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टन में सात मई को तड़के एक हृदयविदारक घटना घटित हुई, जिसके कारण आठ लोगों की मौत हो गई और सड़कों लोग बीमार हो गये। यह हादसा आज तड़के 2:30 बजे एलजी पॉलिमर्स इंडस्ट्री के प्लांट में हुआ। राहत एवं बचावकर्मियों ने न्यूट्रिलाइजर्स के इस्तेमाल कर सुबह लगभग 5:30 बजे हालात को काबू में किया, लेकिन तब तक गैस चार  किलोमीटर के दायरे में आने वाले पांच छोटे गांवों तक फैल हो चुकी थी। इस हादसे में अब तक दो बच्चे समेत 11 लोगों की मौत हो चुकी है। यह घटना विशाखापट्टनम से करीब 30 किलोमीटर दूर वेंकटपुरम गांव में घटित हुई और इसके कारण एक हजार से ज्यादा लोग बीमार हो गये हैं। वहीं 300 लोग अस्पताल में भर्ती हैं। इनमें से 25 लोग वेंटिलेटर पर हैं और 15 बच्चों की हालत नाजुक है।
गांव की सड़कों पर कई लोग मृत अथवा अचेत पड़े दिखाई दिये। लोगों के मुंह से झाग निकल  रहा था। कुछ लोगों ने सांस फूलने , आंखों में जलन और  चक्कर आने की शिकायत महसूस की। स्थानीय निवासी वी. रामा कृष्णा ने  मीडिया को बताया कि जैसे ही कुछ घटित होने का अहसास हुआ , वे सब घरों से  बाहर निकल पड़े और सुरक्षित स्थानों की ओर भागने लगे। रामकृष्णा ने कहा कि उन्होंने कई लोगों को बेहोश होते और उनके मुंह से झाग  निकलते देखा। उनमें से कुछ की मृत्यु हो चुकी थी और कुछ की हालत गंभीर नजर आ  रही थी। खूंटे से बंधे मवेशियां सैकड़ों  की संख्या में पक्षी भी अचेत पड़े थे। केजी अस्पताल और अन्य अस्पतालों में भी अफरातफरी का माहौल था, परिजन अपने बच्चों की तलाश करते और चीत्कार करते दिखे।
गैस कितना जहरीली था, इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि संयंत्र के आसपास के क्षेत्रों के पेड़-पौधे भी मुरझा गये।  गांव के एक निवासी एस अप्पा राव ने कहा कि गैस रिसाव की इस घटना ने उस  भोपाल गैस त्रासदी की याद दिला दी , जिसमें हजारों की संख्या में लोगों की  जानें गयी थी।
इस संयंत्र की स्थापना 1970 में की गयी थी। उस समय ‘हिन्दुस्तान पॉलिमर’ के नाम से विजय माल्या के स्वामित्व में था।  1997 में दक्षिण कोरियाई कंपनी  एलजी पॉलfिमर्स ने इसका अधिग्रहरण कर लिया था।

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