दिल्लीः सेना प्रमुख जनरल विपिन राव 31 दिसंबर को देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ के तौर पर कार्यभार संभालेंगे। जनरल रावत सेना प्रमुख के तौर पर तीस साल कार्यकाल पूरा करके 31 दिसंबर को सेवानृत्त हो रहे हैं। दुर्गम स्थलों पर विषम परिस्थितियों में मोर्चों पर तैनात जवानों के साहस तथा वीरता के कारण ही सेना संकट की घड़ी में हर कसौटी पर खरी उतरी है।
सेवानिवृत्त होने से पहले जनरल रावत ने सुबह राष्ट्रीय युद्ध स्मारक जा कर मातृभूमि की रक्षा के दौरान प्राण न्यौछावर करने वाले शहीदों को श्रद्धांजलि दी। इसके बाद उन्होंने साउथ ब्लॉक स्थित लॉन में सलामी गारद का निरीक्षण किया। सलामी गारद के निरीक्षण के बाद उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि जवान दुर्गम स्थलों पर विषम परिस्थितियों में मोर्चों पर तैनात है और उनके साहस तथा वीरता के कारण ही सेना संकट की घड़ी में हर कसौटी पर खरी उतरी है।
उन्होंने कहा कि उनके कार्यकाल के दौरान सेना के पुनर्गठन, आधुनिकीकरण और सैन्य प्रौद्योगिकी पर जोर दिया गया। कुछ काम अधूरे रह गये है और उन्हें उम्मीद है कि उनके उत्तराधिकारी जनरल मनोज मुकुंद नरवणे इन्हें बखूबी पूरा करेंगे।
उन्होंने कहा कि सेना प्रमुख का पद कठिनाई और जिम्मेदारी से भरा होता है लेकिन सभी जवान और अधिकारी मिल कर काम करते है तो लक्ष्यों को हासिल करने में कठिनाई नहीं होती है।
सीडीएस के रूप में उनकी जिम्मेदारी के बारे में पूछे जाने पर जरनल रावत ने कहा कि इस पद को संभालने के बाद भविष्य की रणनीति तैयार की जाएगी। उन्होंने इस मौके पर सेना प्रमुख के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान सहयोग के लिए सभी जवानों, अधिकारियों, उनके परिजनों, भूतपूर्व सैनिकों और सिविल स्टॉफ के प्रति आभार व्यक्त किया और भविष्य के लिए उन्हें शुभकामनाएं दी।

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