दिनांक 31 दिसम्बर 2019
दिन – मंगलवार
विक्रम संवत – 2076
शक संवत – 1941
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शिशिर
मास – पौष
पक्ष – शुक्ल
तिथि – पंचमी दोपहर 04:01 तक तत्पश्चात षष्ठी
नक्षत्र – शतभिषा 01 जनवरी रात्रि 01:29 तक तत्पश्चात पूर्व भाद्रपद
योग – सिद्धि रात्रि 09:06 तक तत्पश्चात व्यतिपात
राहुकाल – शाम 03:09 से शाम 04:28 तक
सूर्योदय – 07:16
सूर्यास्त – 18:05
दिशाशूल – उत्तर दिशा में
व्रत पर्व विवरण
विशेष – पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
शक्तिवान बनने के लिए
खाली पेट अथवा भोजन के बीच आँवले का रस, मिश्री और घी थोडा-सा लेने से बलवान बन जायेगा, शक्तिवान बन जायेगा |
व्यतिपात योग
व्यतिपात योग की ऐसी महिमा है कि उस समय जप पाठ प्राणायम, माला से जप या मानसिक जप करने से भगवान की और विशेष कर भगवान सूर्यनारायण की प्रसन्नता प्राप्त होती है जप करने वालों को, व्यतिपात योग में जो कुछ भी किया जाता है उसका १ लाख गुना फल मिलता है।
वाराह पुराण में ये बात आती है व्यतिपात योग की।
व्यतिपात योग माने क्या कि देवताओं के गुरु बृहस्पति की धर्मपत्नी तारा पर चन्द्र देव की गलत नजर थी जिसके कारण सूर्य देव अप्रसन्न हुऐ नाराज हुऐ, उन्होनें चन्द्रदेव को समझाया पर चन्द्रदेव ने उनकी बात को अनसुना कर दिया तो सूर्य देव को दुःख हुआ कि मैने इनको सही बात बताई फिर भी ध्यान नही दिया और सूर्यदेव को अपने गुरुदेव की याद आई कि कैसा गुरुदेव के लिये आदर प्रेम श्रद्धा होना चाहिये पर इसको इतना नही थोडा भूल रहा है ये, सूर्यदेव को गुरुदेव की याद आई और आँखों से आँसु बहे वो समय व्यतिपात योग कहलाता है। और उस समय किया हुआ जप, सुमिरन, पाठ, प्रायाणाम, गुरुदर्शन की खूब महिमा बताई है वाराह पुराण में।