दिनांक 19 दिसम्बर 2019
दिन – गुरुवार
विक्रम संवत – 2076
शक संवत – 1941
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – हेमंत
मास – पौष (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार मार्गशीर्ष)
पक्ष – कृष्ण
तिथि – अष्टमी रात्रि 09:23 तक तत्पश्चात नवमी
नक्षत्र – उत्तराफाल्गुनी रात्रि 10:35 तक तत्पश्चात हस्त
योग – आयुष्मान् शाम 05:18 तक तत्पश्चात सौभाग्य
राहुकाल – दोपहर 01:43 से शाम 03:03 तक
सूर्योदय – 07:11
सूर्यास्त – 17:59
दिशाशूल – दक्षिण दिशा में
व्रत पर्व विवरण
विशेष – अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
अष्टमी तिथि के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
गंगाजी का मूल मंत्र
वेद व्यासजी कहते थे कि गंगाजी का एक गोपनीय मंत्र है |और वो गंगाजी का मूल मंत्र एक बार भी जप करो तो तुम निष्पाप होने लगोगे |
गंगाजी का मंत्र
ॐ नमो गंगायै विश्वरुपिणी नारायणी नमो नम:
जीभ तालू में लगाओ और मन में खाली एक बार बोलो | एक बार जपने से आप का मन पवित्र हो जायेगा | गंगा मैया !! आप विश्वरुपिनी हो, नर नारायण स्वरूपी हो, गंगामाई तुमको नमस्कार !!
हिन्दू पंचांग
इलायची
इलायची औषधीय रूप से अति महत्त्वपूर्ण है | यह दो प्रकार की होती है – छोटी व बड़ी |
छोटी इलायची : यह सुंगधित, जठराग्निवर्धक, शीतल, मूत्रल, वातहर, उत्तेजक व पाचक होती है | इसका प्रयोग खाँसी, अजीर्ण, अतिसार, बवासीर, पेटदर्द, श्वास ( दमा ) तथा दाहयुक्त तकलीफों में किया जाता है |
औषधीय प्रयोग
अधिक केले खाने से हुई बदहजमी एक इलायची खाने से दूर हो जाती है |
धूप में जाते समय तथा यात्रा में जी मिचलाने पर एक इलायची मुँह में डाल दें |
१ कप पानी में १ ग्राम इलायची चूर्ण डाल के ५ मिनट तक उबालें | इसे छानकर एक चम्मच शक्कर मिलायें | २ – २ चम्मच यह पानी २ – २ घंटे के अंतर से लेने से जी – मिचलाना, उबकाई आना, उलटी आदि में लाभ होता है |
छिलके सहित छोटी इलायची तथा मिश्री समान मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें | चुटकीभर चूर्ण को १ -१ घंटे के अंतर से चूसने से सूखी खाँसी में लाभ होता है | कफ पिघलकर निकल जाता है |
रात को भिगोये २ बादाम सुबह छिलके उतारकर घिस लें | इसमें १ ग्राम इलायची चूर्ण, आधा ग्राम जावित्री चूर्ण, १ चम्मच मक्खन तथा आधा चम्मच मिश्री मिलाकर खाली पेट खाने से वीर्य पुष्ट व गाढ़ा होता है |
आधा से १ ग्राम इलायची चूर्ण का आँवले के रस या चूर्ण के साथ सेवन करने से दाह, पेशाब और हाथ-पैरों की जलन दूर होती है आधा ग्राम इलायची दाने का चूर्ण और १-२ ग्राम पीपरामूल चूर्ण को घी के साथ रोज सुबह चाटने से ह्रदयरोग में लाभ होता है |
छिलके सहित १ इलायची को आग में जलाकर राख कर लें | इस राख को शहद मिलाकर चाटने से उलटी में लाभ होता है |
१ ग्राम इलायची दाने का चूर्ण दूध के साथ लेने से पेशाब खुलकर आती है एवं मूत्रमार्ग की जलन शांत होती है |
सावधानी : रात को इलायची न खायें, इससे खट्टी उकारें आती है | इसके अधिक सेवन से गर्भपात होने की भी सम्भावना रहती है
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