सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया गैंगरेप के गुनहगार अक्षय सिंह की पुनर्विचार याचिका बुधवार को खारिज कर दी और उसकी फांसी की सजा बरकरार रखी।
न्यायमूर्ति आर. भानुमति, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना की पीठ ने अक्षय की पुनर्विचार याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि इसमें कोई दम नहीं है।
न्यायमूर्ति भानुमति ने खंडपीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को हमने नये तथ्य पेश करने के लिए पर्याप्त समय दिया। हमने इस मामले में हर आधार पर विचार किया है और इसके बाद इसे खारिज करने का फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता की पुनर्विचार याचिका खारिज की जाती है और फांसी की सजा बरकरार रहेगी।
अक्षय के वकील ए. पी. सिंह ने न्यायालय से संशोधन याचिका दायर करने के लिए तीन सप्ताह का समय मांगा जबकि अभियोजन पक्ष की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इसका विरोध किया और कहा कि इसके लिए सिर्फ एक सप्ताह का वक्त निर्धारित है।
न्यायमूर्ति भानुमति ने कहा कि वह इस मामले में कोई राय नहीं दे रही हैं। याचिकाकर्ता को निर्धारित कानून के दायरे में संशोधन याचिका दायर करने की अनुमति है।
आपको बता दें कि 16 दिसम्बर 2012 को राजधानी में निर्भया के साथ सामूहिक बलात्कार किये जाने के बाद उसे गम्भीर हालत में फेंक दिया गया था। दिल्ली में इलाज के बाद उसे एयरलिफ्ट करके सिंगापुर के महारानी एलिजाबेथ अस्पताल ले जाया गया था, जहां उसकी मौत हो गयी थी। इस मामले के छह आरोपियों में से एक नाबालिग था, जिसे सुधार गृह भेजा गया था। उसने वहां से सजा पूरी कर ली थी। एक आरोपी ने तिहाड़ जेल में फांसी लगा ली थी तथा अन्य दोषियों विनय, मुकेश और पवन की पुनर्विचार याचिकाएं पहले ही खारिज की जा चुकी हैं।

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