आज का हिन्दू पंचांग
⛅ दिनांक 14 दिसम्बर 2019
⛅ दिन – शनिवार
⛅ विक्रम संवत – 2076
⛅ शक संवत – 1941
⛅ अयन – दक्षिणायन
⛅ ऋतु – हेमंत
⛅ मास – पौष (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार मार्गशीर्ष)
⛅ पक्ष – कृष्ण
⛅ तिथि – द्वितीया सुबह 08:47 तक तत्पश्चात तृतीया
⛅ नक्षत्र – पुनर्वसु 15 दिसम्बर प्रातः 05:04 तक तत्पश्चात पुष्य
⛅ योग – शुक्ल सुबह 09:51 तक तत्पश्चात ब्रह्म
⛅ राहुकाल – सुबह 09:42 से सुबह 11:02 तक
⛅ सूर्योदय – 07:08
⛅ सूर्यास्त – 17:57
⛅ दिशाशूल – पूर्व दिशा में
⛅ *व्रत पर्व विवरण –
💥 विशेष – द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
हिन्दू पंचांग
🌷 कर्ज हो तो 🌷
💰 किसी के सिर पर कर्जा है तो एक सफेद कपड़ा ले लिया और पाँच फूल गुलाब के ले लिए |एक फुल हाथ में लिया और गायत्री मंत्र बोल देना :
🌷 ॐ भू र्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात् |
🌹 और कपड़े पर रख दिया | ऐसे पाँचो फुल गायत्री मंत्र जपते हुये कपडे पर रख दिये और कपड़े को गठान लगाईं और प्रार्थना पूर्वक कि मेरे सिर पर जो भार है.. हे भगवान, हे भागीरथी गंगा !! वो भार भी बह जाये, दूर हो जाये, नष्ट हो जाये ऐसा करके जो कपड़ा बाँधा है फूल रखकर वो बहते हुए पानी में (नदी में) बहा दे |
~ हिन्दू पंचांग ~
🌷 पौष मास 🌷
पौष हिन्दू धर्म का दसवाँ महीना है। इस वर्ष 13 दिसंबर 2019 (उत्तर भारत हिन्दू पंचांग के अनुसार) से पौष का आरम्भ हो रहा है। पौष मास की पूर्णिमा को अधिकांशतः चंद्र पुष्य नक्षत्र में होते हैं। तैत्तिरीय संहिता में पौष का नाम सहस्य बताया गया है। यह मास दक्षिणायनांत है। पौष मास में अधिकांशतः सूर्य धनु राशि में होते हैं। पौष मास को खर मास बहुत से लोग मानते हैं और इसमें कोई शुभ कार्य नहीं करते विशेषतः जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश कर जाएँ।
🌷 महाभारत अनुशासन पर्व अध्याय 106 के अनुसार “पौषमासं तु कौन्तेय भक्तेनैकेन यः क्षिपेत्। सुभगो दर्शनीयश्च यशोभागी च जायते।।” जो पौष मास को एक वक्त भोजन करके बिताता है वह सौभाग्यशाली, दर्शनीय और यश का भागी होता है ।
शिवपुराण के अनुसार पौषमास में पूरे महीनेभर जितेन्द्रिय और निराहार रहकर द्विज प्रात:कालसे मध्यांहकालतक वेदमाता गायत्रीका जप करे | तत्पश्चात रातको सोने के समयतक पंचाक्षर आदि मन्त्रों का जप करे | ऐसा करनेवाला ब्राह्मण ज्ञान पाकर शरीर छूटने के बाद मोक्ष प्राप्त कर लेता हैं |
शिवपुराण के अनुसार पौष मास में नमक के दान से षडरस भोजन की प्राप्ति होती है।
पौषमास में शतभिषा नक्षत्र के आने पर गणेश जी की पूजा करनी चाहिए
🌷 महाभारत अनुशासन पर्व में ब्रह्मा जी कहते हैं
पौषमासस्य शुक्ले वै यदा युज्येत रोहिणी। तेन नक्षत्रयोगेन आकाशशयनो भवेत्॥
एकवस्त्रः शुचिः स्नातः श्रद्दधानः समाहितः। सोमस्य रश्मयः पीत्वा महायज्ञफलं लभेत्॥
पौषमास के शुक्ल पक्ष में जिस दिन रोहिणी नक्षत्र का योग हो, उस दिन की रात में मनुष्य स्नान आदि से शुद्ध हो एक वस्त्र धारण करके श्रद्धा और एकाग्रता के साथ खुले मैदान में आकाश के नीचे शयन करे और चन्द्रमा की किरणों का ही पान करता रहे । ऐसा करने से उसको महान यज्ञ का फल मिलता है।
ब्रह्मवैवर्तपुराण, प्रकृतिखण्ड के अनुसार चैत्र, पौष तथा भाद्रपद मास के पवित्र मंगलवार को भगवान विष्णु ने भक्ति पूर्वक तीनों लोकों में लक्ष्मी पूजा का महोत्सव चालू किया। वर्ष के अन्त में पौष की संक्रान्ति के दिन मनु ने अपने प्रांगण में इनकी प्रतिमा का आवाहन करके इनकी पूजा की। तत्पश्चात तीनों लोकों में वह पूजा प्रचलित हो गयी।
शिवपुराण के अनुसार धनु की संक्रांति से युक्त पौषमास में उष:काल में शिव आदि समस्त देवताओं का पूजन क्रमश: समस्त सिद्धियों की प्राप्ति करानेवाला होता हैं | इस पूजन में अगहनी के चावल से तैयार किये गये हविष्य का नैवेद्य उत्तम बताया जाता हैं | पौषमास में नाना प्रकार के अन्नका नैवेद्य विशेष महत्त्व रखता हैं
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